खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने सोमवार को कहा कि सरकार अक्तूबर में शुरू होने वाले नये फसल वर्ष में चीनी के आयात पर शुल्क लगाने के बारे में निर्णय करेगी. इससे पहले गन्ने की उपलब्धता और उत्पादन संभावनाओं का आकलन किया जायेगा.
यह पूछने पर कि क्या सरकार चीनी पर आयात शुल्क लगाएगी, पवार ने संवाददाताओं से कहा, ''अगले चीनी सत्र के शुरू होने तक हमारे पास गन्ने की उपलब्धता के बारे में पूरी तस्वीर होगी. उससे पहले अगस्त-सितंबर में हम कोई फैसला करेंगे.'' चीनी वर्ष अक्तूबर से शुरू होकर अगले वर्ष सितंबर तक का होता है.
पिछले महीने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अगुवाई वाली मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने अधिक मुद्रास्फीति दर होने के कारण साफ चीनी पर 15 प्रतिशत शुल्क लगाने के फैसले को टाल दिया था. पवार ने कहा, ''मेरे दृष्टिकोण से आयात शुल्क पर अमल अगले सत्र से होना चाहिये.'' चालू सत्र में अनुमान से अधिक उत्पादन और 2010.11 के सत्र के लिए बेहतर परिदृश्य के मद्देनजर चीनी उद्योगों की मांग रही है कि परिष्कृत चीनी पर आयात शुल्क लगाया जाये ताकि स्थानीय मिलों के हितों की रक्षा की जा सके और गिरते मूल्य को संभाला जा सके.{mospagebreak}राष्ट्रीय राजधानी में खुदरा मूल्य गिरकर 32 रुपये प्रति किलोग्राम रह गये हैं. जनवरी मध्य में चीनी का दाम 50 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास चल रहा था. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, गन्ने का रकबा चालू सत्र में एक जुलाई तक 4.73 करोड़ हेक्टेयर था. एक साल पहले की इसी अवधि में यह रकबा 4.17 करोड़ टन था.
सभी गन्ना उत्पादक राज्यों के गन्ना आयुक्तों से प्राप्त राय के आधार पर खाद्य मंत्रालय ने हाल में कहा था कि देश का चीनी उत्पादन 2010.11 में 2.3 करोड़ टन रहेगा जो घरेलू मांग के बराबर है. दुनिया में चीनी के दूसरे विशालतम उत्पादक देश और सबसे बड़े खपतकर्ता देश भारत में चीनी का उत्पादन सितंबर में समाप्त होने वाले चालू सत्र में 1.88 करोड़ टन रहने का अनुमान है.
भारत ने चीनी की कमी को पूरा करने के लिए इस साल फरवरी से 60 लाख टन चीनी का आयात किया है. अक्तूबर 2009 में चीनी सत्र की शुरुआत के समय चीनी उद्योग ने 2009.10 में चीनी उत्पादन 1.6 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया था.