म्यांमार में घुसकर मणिपुर का बदला लेने को सरकार ने देशहित का फैसला बताया है और अपनी पीठ ठोंकी है. ताजा जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री के बांग्लादेश से लौटते ही सेना को इस ऑपरेशन के लिए हरी झंडी मिली, जिसके बाद सीमा लांघकर फौज ने 38 उग्रवादियों को ढेर कर डाला.
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑपरेशन में 38 उग्रवादियों को मार गिराया गया जबकि सात अन्य घायल हुए. मणिपुर के चंदेल इलाके में 4 जून को उग्रवादियों ने घात लगाकर भारतीय जवानों पर हमला किया था जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे. इस घटना के कुछ घंटों बाद अपनी तरह के इस पहले अभियान की योजना बनाई गई और 7 जून की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश से लौटने के बाद इस योजना पर उनकी मंजूरी ली गई.
ऐसे बना प्लान
सूत्रों ने बताया कि 4 जून को गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, एनएसए अजीत दोभाल, सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में यह चर्चा हुई कि उग्रवादी कैंप पर अगले ही दिन हमला होना चाहिए. हालांकि सेना प्रमुख ने इतने कम समय में हमला करने में अपनी अक्षमता जताई. आमतौर पर इस तरह का अभियान 72 घंटों के अंदर पूरा किया जाता है लेकिन यह फैसला किया गया कि हमला जल्द से जल्द होगा.
इसके बाद, शीर्ष सुरक्षा प्रतिष्ठान ने फैसला किया कि हमला सोमवार को किया जाए और जनरल सुहाग से तैयारियां पूरी करने के लिए कहा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस फैसले के बारे में बताया गया. बैठक में सेना की स्पेशल फोर्स की ओर से जमीनी हमले के साथ सुखोई और मिग 29 लड़ाकू विमानों से हवाई हमले के विकल्पों पर भी बात हुई. हालांकि इस विकल्प को ठुकरा दिया गया क्योंकि हवाई हमले में नुकसान की आशंका ज्यादा रहती है.
PM से ली गई आखिरी मंजूरी
जब हमले की योजना को अंतिम रूप दिया गया, प्रधानमंत्री बांग्लादेश में थे और अभियान के सभी पहलुओं से उन्हें अवगत कराना जरूरी था. इसलिए हमले को एक दिन और टाला गया और मंगलवार की सुबह के लिए तय किया गया. प्रधानमंत्री के रविवार की रात बांग्लादेश से लौटने पर उन्हें अभियान के बारे में बताया गया और उनकी अंतिम मंजूरी ली गई.
इस बीच, सेना प्रमुख ने मणिपुर का दौरा किया. सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात को स्पेशल फोर्सेस के जवानों को म्यामांर की सीमा के भीतर उग्रवादियों के कैंपों के करीब विमान से उतारा गया और हमला मंगलवार को तड़के तीन बजे शुरू हुआ. सूत्रों ने बताया कि फिलहाल जमीनी रिपोर्ट के मुताबिक, 38 उग्रवादी मारे गये जबकि सात अन्य हमले में घायल हुए.
मंत्री और सेना के बयानों में मतभेद: कांग्रेस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को मणिपुर दौरे पर हालात का जायजा लेने भेजा है. जितेंद्र सिंह पीएमओ में राज्यमंत्री हैं और मोदी के भरोसेमंद माने जाते हैं. वह यहां प्रधानमंत्री के निर्देशों के मुताबिक कई लोगों से मुलाकात करेंगे. उधर कांग्रेस ने मसले का राजनीतिकरण न किए जाने की अपील की है. कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, 'सरकार को क्रेडिट लेने के चक्कर में ओवरबोर्ड नहीं होना चाहिए, यह संवेदनशील मसला है.'
उन्होंने यह भी कहा कि सेना और मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ के बयान में मतभेद है. सेना ने कभी नहीं कहा कि म्यांमार में घुसकर कार्रवाई की गई, पर राठौड़ ऐसा बोल रहे हैं. सेना ने सिर्फ म्यांमार सीमा पर ऑपरेशन किए जाने का जिक्र किया. हालांकि माकन ने भारतीय सेना को बधाई भी दी. इसे यूपीए कार्यकाल से जोड़ने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा, 'दिसंबर 2010 में भारत और म्यांमार के बीच समझौता हुआ था, जिसके बाद ही यह संभव हुआ.'