तेलंगाना समर्थक समूहों के दबाव के बावजूद संसद के चालू बजट सत्र के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पृथक राज्य की मांग पर कोई फैसला किए जाने के आसार नहीं है. संसद का बजट सत्र 10 मई तक चलेगा.
सरकार के एक पदाधिकारी ने कहा कि सरकार और कांग्रेस पार्टी में विचार-विमर्श चल रहा है इसलिए बजट सत्र में कोई फैसला होने के आसार नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार वर्तमान सत्र में महत्वपूर्ण वित्तीय कामकाज निपटाने की कोशिश करेगी और इसमें कोई व्यवधान नहीं चाहेगी.
इस पदाधिकारी ने कहा, ‘हमें वर्ष 2014 में होने जा रहे लोकसभा चुनावों से पहले फैसला करना ही होगा. लेकिन हम इस संवेदनशील मुद्दे पर ऐसे समय पर फैसला नहीं कर सकते जब सत्र चल रहा हो क्योंकि इससे संसद में व्यवधान हो सकता है.’ सरकार को यह भी चिंता है कि जल्दबाजी में तेलंगाना पर फैसला करने से देश के अन्य भागों से उठ रही पृथक राज्यों की मांग तेज हो जाएगी.
हाल ही में गोरखा मुक्ति मोर्चा ने सरकार से कहा था कि अगर वह पृथक तेलंगाना के गठन पर विचार कर रही है तो उसे गोरखालैंड राज्य की उनकी मांग पर विचार करना चाहिए.
बहरहाल, पृथक तेलंगाना की वकालत करते हुए राकांपा प्रमुख और कृषि मंत्री शरद पवार ने प्रधानमंत्री से कहा कि मामले में देर करना ठीक नहीं होगा.
पवार ने कहा था कि यह मुद्दा उन्होंने प्रधानमंत्री के समक्ष उठाया था. इसके साथ ही राकांपा संप्रग की पहली घटक बन गई जिसने खुल कर तेलंगाना पर जल्द फैसले की मांग की है. पृथक तेलंगाना राज्य पर फैसला 27 जनवरी को केंद्र और कांग्रेस ने यह कह कर टाल दिया था कि इस पर और विचार विमर्श की जरूरत है और इसमें समय लगेगा. हालांकि तेलंगाना समर्थकों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है.
इस मुद्दे पर फैसले के लिए एक माह की समय सीमा तय की गई थी. इस समय सीमा के खत्म होते समय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे और कांग्रेस दोनों ने ही एक स्वर में कहा कि अभी और समय लगेगा.
शिन्दे ने कहा कि अंतिम निर्णय के लिए समय लग सकता है तो कांग्रेस के आंध्र प्रदेश संबंधी मामलों के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने साफ कर दिया कि आंध्रप्रदेश के नेताओं के साथ और विचार-विमर्श की जरूरत है.
पिछले साल 28 दिसंबर को शिन्दे ने कहा था कि इस जटिल मुद्दे पर केंद्र एक माह में फैसले की घोषणा करेगा.