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संसद में बोली मोदी सरकार- दिल्ली में जघन्य अपराधों में 7.7% की गिरावट

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि दिल्ली में जघन्य अपराधों में गिरावट दर्ज की गई है.

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सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

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  • 2018 में दिल्ली में 5014 मामले दर्ज हुए
  • 2019 में 4628 मामले दर्ज किए गए हैं

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि दिल्ली में जघन्य अपराधों में गिरावट दर्ज की गई है. उन्होंने राज्यसभा में पेश किए गए लिखित जवाब में कहा कि पिछली साल की तुलना में इस साल जघन्य अपराधों में 7.7% की कमी दर्ज की गई है. दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में दिल्ली में 5014 जघन्य अपराध के मामले दर्ज किए थे. इसके मुकाबले 2019 में (15 नवंबर तक) इस श्रेणी के 4628 मामले दर्ज किए गए हैं.  

मंत्री ने सदन को बताया कि दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में अपराध रोकने और अपराध के मामलों को निपटाने में तेजी लाने के लिए कई उपाय किए हैं. इन उपायों में कुछ प्रमुख हैं: संगठित अपराध के खिलाफ कार्रवाई, कुख्यात अपराधियों की गिरफ्तारी/सर्विलांस, संवेदनशील इलाकों में सामूहिक पेट्रोलिंग, पुलिस कंट्रोल रूम वैन की तैनाती, इमरजेंसी रेस्पॉन्स व्हिकल, अपराधियों पर सर्विलांस. इसके अलावा दिल्ली पुलिस जनता में विश्वास पैदा करने के लिए जनसंपर्क करती है और लोगों से संपर्क बनाए रखने वाले कार्यक्रम भी करती है.

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इधर, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा को सूचित करते हुए कहा कि विशेष रूप से भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) के लिए नहीं, बल्कि केंद्र ने राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संभावित संशोधन के लिए पत्र लिखा है. ऊपरी सदन में एक सवाल का जवाब देते हुए, मंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद से ही मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों, राज्यपालों को अनुभवी जांचकर्ताओं और सरकारी वकीलों से परामर्श लेकर के उनके सुझाव भेजने के लिए पत्र लिखा है.

शाह ने कहा, 'बीपीआर एंड डी (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट) के तहत, एक समिति का गठन किया गया है, जो आईपीसी और सीआरपीसी में समग्र बदलाव को लेकर चर्चा करेगा.' उन्होंने कहा कि सुझाव प्राप्त करने के बाद सरकार उसी प्रकार से मामले पर कार्य करेगी. गृहमंत्री ने कहा, 'इसके साथ ही हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को भी दिमाग में रखेंगे.'

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