रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 15 हजार 750 करोड़ रुपये की लागत से 814 तोप हासिल करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. वायु सेना के एवरो परिवहन बेड़े को बदलने के लिए टाटा सन्स और एयर बस के संयुक्त प्रयास और 106 स्विस पाइलट्स बुनियादी प्रशिक्षण विमान की खरीद पर फैसला टाल दिया.
तोपों की खरीद पिछले साल शुरू किए गए ‘बाय एंड मेक’ प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी. इसके तहत 100 तोपों की खरीद की जाएगी, जबकि 714 का निर्माण भारत में किया जाएगा. भारतीय सेना ने 1986 में बोफोर्स घोटाला सामने आने के बाद पिछले तीन दशकों में तोपों की खरीद नहीं की है.
सूत्रों ने बताया कि अब तक कम से कम छह निविदाएं जारी की गई हैं, लेकिन काली सूची में डाले जाने और एक ही विक्रेता के होने जैसे परिदृश्यों समेत अन्य कारणों की वजह से रद्द की जा चुकी हैं. इस तरह के तोपों को हासिल करने की पहली बार योजना सेना के फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्लान (एफएआरपी) के तहत 1999 में तैयार की गई थी.
यह फैसला तब किया गया जब पर्रिकर ने शनिवार सुबह दिल्ली में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की पहली बैठक की अध्यक्षता की. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि डीएसी ने 155 मिमी, 52 कैलिबर के 814 तोपों की खरीद के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सूत्रों ने बताया कि खरीद के लिए ताजा अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) जारी किया जाएगा, जो सार्वजनिक के साथ-साथ निजी कंपनियों के लिए खुला रहेगा.
एल एंड टी, टाटा और भारत फोर्ज समेत इस परियोजना के लिए भारतीय निजी कंपनियों के बोली लगाने की संभावना है. एक सूत्र ने बताया, ‘चयनित हो जाने पर भारतीय कंपनी अब अग्रणी भागीदार होगी. वे या तो उत्पाद को पूरी तरह यहां निर्मित करने या विदेशी फर्म के साथ मिलकर यहां तोप का निर्माण करने की क्षमता प्रदर्शित कर सकते हैं.’ भारतीय वायु सेना के एवरो बेड़े को बदलने के लिए 56 परिवहन विमानों का निर्माण करने के टाटा सन्स और यूरोपीय फर्म एयर बस के करोड़ों रुपये के संयुक्त प्रयास पर सूत्रों ने कहा कि डीएसी ने अतिरिक्त सू़चना मांगी है.
इसी तरह का फैसला 8200 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय वायु सेना के लिए 106 स्विस पायलट्स बुनियादी प्रशिक्षण विमान खरीदने के प्रस्ताव पर भी किया गया. डीएसी ने भारतीय वायु सेना के एकीकृत हवाई कमान एवं नियंत्रण प्रणाली के लिए 7160 करोड़ रुपये के संशोधित भुगतान कार्यक्रम को भी मंजूरी दे दी. इसका लक्ष्य सभी जमीनी और हवाई सेंसरों को समन्वित करना है.
- इनपुट भाषा से