रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मंगलवार को कहा कि बोफोर्स तोप अच्छी क्वालिटी की हैं. उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के उस कथित बयान पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि इसकी खरीदारी से जुड़ा विवाद मीडिया ट्रायल था.
पर्रिकर ने नौसेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के पोत कारखाने भारतीय नौसेना और तटरक्षकों को नए युद्धपोतों और अन्य प्लेटफार्म की आपूर्ति में तेजी लाएं. पिछले एक साल में नौसेना के आधुनिकीकरण योजना ने तेजी पकड़ी है.
पर्रिकर ने नौसेना की क्षमताओं के स्वदेशी विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों पर संतोष जताते हुए कहा, 'भारत में प्रत्येक पोत के जलावतरण या पनडुब्बी की शुरुआत किसी के लिए व्यक्तिगत रूप से तथा पूरे भारत के लिए गौरव का पल होता है. इस समय सभी 48 पोत और पनडुब्बियां ऑर्डर के तहत भारतीय गोदियों में निर्मित किए जा रहे हैं, जो प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया परिकल्पना के अनुरूप है.'
उन्होंने युद्धग्रस्त यमन में 'ऑपरेशन राहत' के दौरान बेहद खतरनाक एवं युद्ध जैसे हालात में लगभग 35 देशों के नागरिकों को बाहर निकालने में भी नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका को सराहा. 'ऑपरेशन नीर' के दौरान तत्काल कार्रवाई के लिए भी नौसेना की प्रशंसा की, जहां भारत के नौसेनिक पोतों ने पिछले साल दिसंबर में मालदीव को पीने का पानी उपलब्ध कराया तथा अपने समुद्री पड़ोसियों के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया.
बताते चलें कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वीडन के अखबार 'डैगेन्स नायहेटर' से कथित रूप से कहा था कि बोफोर्स कांड 'मीडिया ट्रायल' था. उन्होंने कहा, 'सबसे पहले तो अभी यह साबित होना है कि वह एक स्कैंडल था. किसी भारतीय कोर्ट में यह बात साबित नहीं हुई है. बोफोर्स के लंबे समय बाद तक मैं देश का रक्षा मंत्री रहा हूं और हमारे सारे सेना जनरल्स ने उन हथियारों की तारीफ की थी. आज तक भी भारतीय सेना उनका इस्तेमाल करती है. आप जिस 'कथित स्कैंडल' की बात कर रहे हैं, हां मीडिया में वह खूब दिखा था. मीडिया ट्रायल था.'
गौरतलब है कि 1986 में कांग्रेस नेता राजीव गांधी की अगुवाई वाली भारत सरकार ने स्वीडिश हथियार कंपनी 'बोफोर्स' से 285 मिलियन का हथियारों का समझौता किया था. इसके तहत कंपनी को 155 एमएम की होवित्जर बंदूकें सप्लाई करनी थीं. बाद में स्वीडिश रेडियो ने आरोप लगाया कि बोफोर्स ने इस समझौते के एवज में शीर्ष भारतीय नेताओं और रक्षा अधिकारियों को रिश्वत दी.
इनपुट- भाषा