दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत है और भगवान राम द्वारा रावण वध के तौर पर मनाया जाता है. इस मौके पर देशभर की जानी-मानी हस्तियां भी दशहरा को खास तरीके से मनाती हैं. इस बार रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अपनी शस्त्र पूजा की परंपरा कायम रखेंगे. 8 अक्टूबर को राजनाथ सिंह पहले राफेल फाइटर जेट के साथ फ्रांस में ही शस्त्र पूजा करेंगे. बता दें कि जब तक राजनाथ सिंह गृहमंत्री थे तब तक उन्होंने हर साल शस्त्र पूजा की. पिछले साल राजनाथ सिंह ने बीएसएफ के जवानों के साथ बीकानेर में शस्त्र पूजा की थी.
Rajasthan: Home Minister Rajnath Singh performs ‘Shastra Puja’ at BSF Sector Headquarters in Bikaner on #Dussehra. pic.twitter.com/wQtIXdJq9B
— ANI (@ANI) October 19, 2018
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह फ्रांस में सबसे पहले राफेल फाइटर जेट में एक उड़ान भरेंगे. 8 अक्टूबर को ही वायुसेना दिवस भी है. उसी दिन राजनाथ सिंह बोर्डिओक्स के पास मेरिनैक में राफेल जेट रिसीव करेंगे. 9 अक्टूबर को राजनाथ सिंह वरिष्ठ वायुसेना अधिकारियों के साथ पेरिस जाएंगे. उनके साथ वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल एचएस अरोड़ा भी होंगे. राफेल फाइटर जेट को भारतीय जरूरतों के मुताबिक बदला गया है. इन बदलावों की कीमत करीब 1 बिलियन यूरो है.
राफेल फाइटर को उड़ाने के लिए भारतीय वायुसेना के कुछ पायलटों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. इसके बाद अब ये सभी मिलकर वायुसेना के 24 और पायलटों को तीन अलग-अलग हिस्सों में भारतीय राफेल फाइटर जेट में ट्रेनिंग देंगे. इनकी ट्रेनिंग 2020 मई तक चलेगी.
हमारे लिए गेम चेंजर होगा राफेलः वायुसेना प्रमुख भदौरिया
नए एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने भी कहा था कि राफेल का शामिल होना देश और वायुसेना के लिए महत्वपूर्ण है. राफेल की तकनीक हमारे लिए गेम चेंजर होगी. एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने आगे कहा कि मौजूदा हालत की चुनौतियों से निपटने के लिए वायुसेना पुरी तरह तैयार है. हमें जानकारी दी गई कि सरहद पर पाकिस्तान की तरफ क्या चल रहा है. उसकी हम चर्चा करते हैं. हम पहले भी तैयार थे और अब बालकोट जैसी एयरस्ट्राइक की जरूरत पड़ने पर वायुसेना ज्यादा तैयार है.
36 राफेल विमानों को लेकर डील हुई थी साइन
सितंबर, 2016 में भारत ने फ्रांस सरकार और डसॉल्ट एविएशन के साथ 36 राफेल विमानों को लेकर डील साइन की थी. सरकार की कोशिश थी कि ये विमान जल्दी से हैंडओवर कर दिए जाएं, क्योंकि वायु सेना की तरफ से इन्हें जल्दी से सेना में शामिल करने का दबाव था.