रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को जम्मू-कश्मीर के सियाचिन ग्लेशियर पहुंचे. यहां पर उन्होंने अधिकारियों से मुलाकात की और बॉर्डर पर तैयारियों का जायजा लिया. सियाचिन के दौरे के बाद राजनाथ सिंह श्रीनगर भी जाएंगे. रक्षा मंत्री के साथ सेना प्रमुख बिपिन रावत भी हैं. बता दें कि बतौर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का ये पहला सियाचिन दौरा है.
Paid tributes to the martyred soldiers who sacrificed their lives while serving in Siachen.
More than 1100 soldiers have made supreme sacrifice defending the Siachen Glacier.
The nation will always remain indebted to their service and sacrifice. pic.twitter.com/buWxgv6Nmg
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) June 3, 2019
अपने दौरे के दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद निरोधक अभियान का जायजा लेने के साथ ही पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर सुरक्षा तैयारियों का जायजा लिया. केंद्र में दोबारा मोदी सरकार के शपथ लेने के बाद रक्षा मंत्री बने राजनाथ पहली बार आधिकारिक दौर पर जम्मू कश्मीर जा रहे हैं.
Our soldiers in Siachen are performing their duty with great courage and fortitude even in extreme conditions and treacherous terrain. I salute their vigour and valour. pic.twitter.com/hMRObJ1j9A
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) June 3, 2019
नए रक्षा मंत्री की पहली यात्रा
राजनाथ सिंह रक्षा मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद पहली यात्रा में सबसे पहले सियाचिन ग्लेशियर पहुंचे हैं, जिसे दुनिया का सबसे खतरनाक युद्ध क्षेत्र कहा जाता है. यहां वह फील्ड कमांडरों और जवानों के साथ बातचीत करेंगे. रक्षा मंत्री के साथ सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत भी मौजूद हैं.
Leaving New Delhi for Ladakh on a day long visit to Jammu and Kashmir. Looking forward to interact with the troops in Siachen.
Later in the day, I would be meeting the Indian Army personnel in Srinagar.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) June 3, 2019
कोराकोरुम रेंज में स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सर्वोच्च सैन्य क्षेत्र है, जहां जवानों को अत्यधिक सर्दी और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है. सर्दियों में ग्लेशियर पर भूस्खलन और हिमस्खलन आम बात है. यहां तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है.
सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री को 14 कोर और 15 कोर में पाकिस्तान की ओर से पैदा की गई किसी तरह की प्रतिकूल स्थिति से निपटने की भारत की तैयारी आदि पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी.
सियाचिन ग्लेशियर पर 1984 से भारत का कब्जा
सियाचिन ग्लेशियर हिमालय के पूर्वी काराकोरम पर्वत श्रंखला में स्थित है, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा समाप्त होती है. सेना ने इस इलाके में एक ब्रिगेड तैनात कर रखे हैं, जहां कुछ चौकियां 6,400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं. सियाचिन ग्लेशियर पर 13 अप्रैल, 1984 से ही सेना का नियंत्रण है, जब पाकिस्तानी सेना को हरा कर चोटी पर कब्जे के लिए 'ऑपरेशन मेघदूत' (एक सैन्य कार्रवाई का कूट नाम) लांच किया गया था.