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हेलीकॉप्टर घोटालाः रक्षा मंत्रालय ने जारी किया श्वेत पत्र

विवादित वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे पर रक्षा मंत्रालय ने श्वेत पत्र जारी कर दी है. रक्षा मंत्रालय ने श्वेत पत्र जारी करके मामले पर सफाई दी है.

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एके  एंटनी
एके एंटनी

विवादित वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे पर रक्षा मंत्रालय ने श्वेत पत्र जारी कर दी है. रक्षा मंत्रालय ने श्वेत पत्र जारी करके मामले पर सफाई दी है.

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रक्षा मंत्रालय ने श्वेत पत्र में 12 अगस्टा वैस्टलैंड हेलीकॉप्टर की डील संबंधी सारे घटनाक्रमों का विस्तृत ब्यौरा दिया है जिसे 2010 में अंतिम रूप दिया गया था.

सरकार ने हेलीकॉप्टर घोटाले पर श्वेत पत्र जारी कर सफाई दी है. बताने की कोशिश ये कि उसने अपने स्तर पर कोई कोताही नहीं बरती. घोटाले का धुआं उठते ही उसने इटली से जानकारी मांगनी शुरू कर दी थी. लेकिन सवाल उठता है कि सीबीआई जांच का एलान करने में इतनी देरी क्यों हो गई? इस बीच सरकार ने फिनमेक्कनिका को चेतावनी दी है कि अगर दलाली की बात पाई गई तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

श्वेत पत्र में तफ्शील से बताया गया है कि 19 नवंबर 2003 को तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधान सचिव और राष्ट्रीय सूचना सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने एक बैठक बुलाकर 6000 मीटर ऊंचाई के मानक को बदलने का सुझाव दिया था.

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22 दिसंबर 2003 को ब्रजेश मिश्रा ने पीएमओ और एसपीजी को विचार विमर्श में शामिल ना करने पर भी नाराजगी जताई थी. मार्च 2005 से 2006 के बीच वायु सेना, एनएसएस, पीएमओ, एसपीजी और रक्षा मंत्रालय के बीच लंबा विचार विमर्श हुआ और फिर कड़े मानक को बदला गया.

कहने का मतलब ये कि सारी कवायद एनडीए शासन में शुरू हुई थी. यूपीए ने सिर्फ उस पर अमल किया. श्वेत पत्र में रक्षा मंत्रालय ने ये दिखाने की कोशिश भी की है कि पहली बार जब घोटाले की खबर आई थी, तभी से वो इसकी सच्चाई जानने को लेकर संजीदा थी.

श्वेत पत्र में दावा किया गया है कि फरवरी 2012 में पहली बार घोटाले की खबर आते ही सरकार ने रोम में अपने दूतावास से जानकारी मांगी थी. इसके बाद से रक्षा मंत्रालय लगातार विदेश मंत्रालय के जरिये मुद्दा उठाता रहा. चूंकि मुद्दा वहां की न्यायपालिका में था इसलिए पूरी जानकारी सामने नहीं आ रही थी. कुछ ऐसा ही इशारा बुधवार को रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी किया था. लेकिन इसी श्वेत पत्र में शामिल कुछ बातों से सरकार की संजीदगी पर सवाल भी उठते हैं.

नवंबर 2012 में रक्षा मंत्रालय को आयकर जांच के निदेशक की चिट्ठी मिली थी जिसमें हेलीकॉप्टर घोटाले में कथित दलाली को लेकर जानकारी मांगी गई थी. इस पर रक्षा मंत्रालय ने आयकर विभाग से पूछा कि अगर उसके पास कोई पुख्ता जानकारी है तो वो दे.

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सवाल उठता है कि तब भी सरकार क्यों नहीं जागी? इटली पर ही सरकार ने पूरी तरह क्यों भरोसा किया? क्या सरकार के तंत्र इतने पंगु हैं. जाहिर है रक्षा मंत्रालय ने खुद को पाक साफ बताने के लिए जो श्वेत पत्र जारी किया है वो काफी नहीं लगता.

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