84 कोसी की परिक्रमा को लेकर यूपी की सियासत में घमासान छिड़ गया है. वीएचपी ने ऐलान किया है अयोध्या की कोसी परिक्रमा निर्धारित कार्यक्रम से ही होगी. वीएचपी ने यूपी सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है. वीएचपी ने इस मुद्दे पर देश भर में आंदोलन की चेतावनी भी दी.
वीएचपी नेताओं का कहना था कि यात्रा को रोकने का फैसला यूपी सरकार में मंत्री आजम खां के दबाव में किया गया. मंगलवार को यह मुद्दा लोकसभा में उठा और बीजेपी ने इस मुद्दे पर जमकर हंगामा किया.
वीएचपी अध्यक्ष अशोक सिंघल ने उत्तर प्रदेश सरकार को चेतावनी दी कि अगर उसने प्रतिबंध को लागू करने के लिए बल का इस्तेमाल किया तो उसे प्रतिकूल परिणाम भुगतने होंगे. सिंघल ने दावा किया कि 20 दिवसीय यात्रा के लिए सपा का समर्थन मांगने के लिए जब वह 17 अगस्त को यादव से मिले तो वह विचार के लिए ग्रहणशील थे.
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री खान के स्पष्ट संदर्भ में सिंघल ने कहा, ‘सरकार के फैसले को जानकर हम हैरत में हैं. उनकी पार्टी में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता ने बैठक के प्रति नाखुशी जताई थी और यादव स्पष्ट तौर पर दबाव में झुक गए.’ खान ने बैठक के प्रति नाखुशी जाहिर की थी और कहा था कि यह मुस्लिम समुदाय में गलत संदेश भेजेगा.
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सोमवार को ‘84 कोसी पदयात्रा’’ प्रतिबंधित कर दी. उसे वीएचपी के फैसले के पीछे राजनैतिक कारणों का संदेह था क्योंकि चुनाव अगले साल होने वाले हैं.
सिंघल ने दावा किया कि इसके पीछे कोई राजनीति नहीं है क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर के लिए उनका आंदोलन छह दशक से अधिक समय से चल रहा है. उन्होंने कहा कि देशभर के साधुओं को यात्रा की सूचना दी जा चुकी है और इसे रद्द नहीं किया जा सकता. यह यात्रा पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों से होकर गुजरेगी जिसके जरिए मंदिर के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास किया जाएगा.
उधर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वीएचपी की प्रस्तावित अयोध्या चौरासी कोसी यात्रा को इजाजत नहीं दिये जाने और वीएचपी के अपने इरादे पर कायम रहने के निर्णय के बीच राज्य पुलिस ने कहा कि इसके दायरे में आने वाले सभी छह जिलों की सीमाओं को सील करके कड़ी निगरानी रखी जाएगी.