आ गया है साल का वह समय जब दिल्ली-एनसीआर के लोगों के चेहरों पर मास्क दिखेगा. एकदम वैसा ही जैसे सर्दियों में चीन के कई शहरों में देखने को मिलता है. अब लोगों के घरों में कैद होने के दिन आ गए हैं. दिल्ली-एनसीआर की हवा में जहर इस कदर घुल जाएगा कि आपका सांस लेना मुश्किल हो जाएगा. बदलती स्थितियों को देखकर राजधानी के लोगों को सलाह दी गई है कि प्रदूषित हवा से दूर रहे. सुबह और शाम की सैर बंद कर दे. तकलीफ हो तो तत्काल डॉक्टर की सलाह लें.
SAFAR (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के मुताबिक 14 अक्टूबर 2019 यानी आज दिल्ली-NCR में PM2.5 का स्तर 121 हैं. जो बेहद खराब श्रेणी में आता है. यह कल यानी 15 अक्टूबर को 129 हो सकता है. यानी हालत और बिगड़ सकती है. जबकि, 3 दिन बाद यह 136 के अंक पर चली जाएगी. वहीं, PM10 का स्तर आज यानी 14 अक्टूबर 2019 को दिल्ली-NCR में 258 है. कल यानी 15 अक्टूबर को यह 234 और तीन दिन बाद 277 अंक हो जाएगा. यानी हवा में जहर की मात्रा बढ़ जाएगी. आखिर ऐसा हो क्यों रहा है?
तेजी से जहरीली हो रही है दिल्ली की हवा, हरियाणा में जमकर जल रही पराली
दिल्ली में प्रदूषण का अभी सबसे बड़ा कारण है पराली का जलाना...
इस साल देश भर में मॉनसूनी बारिश सामान्य से करीब 10 फीसदी ज्यादा हुई है. दिल्ली के आसपास के राज्यों में भी बारिश की मात्रा ठीक रही है. इस बार का मॉनसून लेट आया लेकिन रूका ज्यादा दिनों तक. इसलिए चावल की खेती के लिए दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के भरपूर मात्रा में पानी मिला. इससे चावल और अन्य फसलों की पैदावार बंपर हुई है. अब इन फसलों की पराली को जलाया जा रहा है. जिससे दिल्ली की हवा और लोगों की सांसें आफत में हैं.
SAFAR के इस ग्राफिक्स में साफ दिख रहा है कि पाकिस्तान, पंजाब और हरियाणा में पराली कहां-कहां जलाई जा रही है.
पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान में पराली जलाया जा रहा है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने 1 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक 1645 जगहों पर पराली जलाने की घटना दिखी है. SAFAR ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान में पराली जलाई जा रही है. और हवा की दिशा दिल्ली की तरफ है, इसलिए पराली का धुआं दिल्ली की हवाओं में मिल रहा है.
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आखिर बारिश क्यों बन रही है दिल्ली के प्रदूषण की वजह
भारतीय मौसम विभाग की माने तो इस साल मॉनसूनी बारिश 5 जून के आसपास शुरू हुई. अब तक यानी 14 अक्टूबर 2019 तक यह सामान्य से करीब 10 फीसदी ज्यादा है. पंजाब और हरियाणा में भी बारिश सामान्य से ज्यादा हुई है. NASA की माने तो इस बार पंजाब और हरियाणा में चावल की पैदावार बढ़ेगी. NASA ने उम्मीद जताई है कि इस बार 200 मीट्रिक टन पराली ज्यादा निकलेगा. इसे जलाने से ज्यादा प्रदूषण होगा.
पिछले साल की तुलना में इस साल अक्टूबर में ही वायु प्रदूषण की मात्रा ज्यादा दिख रही है.
1 टन पराली जलाने से आखिर कितना प्रदूषण होता है?
NASA के मुताबिक 1 टन परानी जलाने से 2 किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साइड (SO2), 3 किलोग्राम पर्टिकुलेट मैटर (PM), 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), 1,460 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड (CO2) और 199 किलोग्राम राख पैदा होती है. अब आप सोचिए कि 200 मीट्रिक टन पराली जलाया जाएगा तो कितना प्रदूषण होगा.
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इस साल और बढ़ सकता है दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण
NASA के नॉर्मेलाइज्ड डिफरेंस वेजीटेशन इंडेक्स (NDVI) दुनियाभर में फसलों की पैदावार का आंकड़ा जुटाता है. NASA के अनुसार 2002 से 2018 तक हर साल पराली जलाने की घटनाओं में इजाफा हो रहा है. सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटना 2016 में दर्ज हुई थी. 2016 में पराली जलाने की 18 हजार घटनाएं हुई थीं. NASA को आशंका है कि इस साल 16 हजार के आसपास ये आंकड़ा पहुंचेगा.