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2019 के लिए केजरीवाल का हथियार, दिल्ली को मिले पूरा अधिकार

केजरीवाल की राजनीति को आंदोलन सूट करता है. 2013 में जब उन्होंने पहली बार दिल्ली में चुनाव लड़ा तो लोकपाल को मुद्दा बनाया. और इसके दम पर उनको सत्ता हासिल हुई. 2015 में भी उन्होंने लोकपाल और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को लेकर जनता का विश्वास जीता.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ( फाइल फोटो)
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ( फाइल फोटो)

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दिल्ली के मुख्यमंत्री और 'आप' सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनावों का बिगुल फूंक दिया है. केजरीवाल के निशाने पर राजधानी की 7 लोकसभा सीटें हैं. इसके लिए उन्होंने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का आंदोलन छेड़ दिया है.

केजरीवाल की राजनीति को आंदोलन सूट करता है. 2013 में जब उन्होंने पहली बार दिल्ली में चुनाव लड़ा तो लोकपाल को मुद्दा बनाया और इसके दम पर उनको सत्ता हासिल हुई. 2015 में भी उन्होंने लोकपाल और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को लेकर जनता का विश्वास जीता.

दोनों ही बार जनता ने केजरीवाल के आंदोलन के बदले उन्हें समर्थन दिया और उन पर भरोसा जताया. अब 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए केजरीवाल एक बार फिर आंदोलन के रास्ते से 'इंद्रप्रस्थ' की 7 सबसे बड़ी सीटों पर कब्जा जमाना चाहते हैं.

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जाहिर है अब वक्त कम रह गया है इसलिए तैयारियां ज्यादा हो रही हैं.  रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर 'आप' के सभी विधायकों और बड़े नेताओं की बैठक बुलाई.

"LG दिल्ली छोड़ो" का दिया नारा

बैठक का मुद्दा दिल्ली को पूर्ण राज्य दिलाने के लिए पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ना था. इस बैठक में केजरीवाल ने नारा दिया "LG दिल्ली छोड़ो".  इस बैठक के बाद केजरीवाल ने ऐलान कर दिया है कि दिल्ली का चुनाव वह पूरे हक के मुद्दे पर लड़ेंगे और अब  उसी दिशा में आप आंदोलन चलाने की तैयारी में जुट गई है.

'आप' दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष  गोपाल राय ने कहा कि  दिल्ली में आम आदमी पार्टी पूर्ण राज्य के आंदोलन को आगे बढ़ाएगी. 17 जून से 24 जून तक दो चरण का कार्यक्रम होगा. दिल्ली में 300 जगहों पर बैठकों का आयोजन होगा और दूसरे चरण के तहत 1 जुलाई को इंदिरा गांधी स्टेडियम में पूर्ण राज्य के लिए प्रदेश स्तर सम्मेलन होगा, जिसमें आंदोलन की अगली रूपरेखा तैयार की जाएगी और केजरीवाल खुद अगली रणनीति का ऐलान करेंगे.  

2015 से लेकर दिल्ली में दोबारा सत्ता हासिल करने के बाद केजरीवाल के रिश्ते केंद्र में बैठी मोदी सरकार, दिल्ली में विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली के मुख्य प्रशासक उपराज्यपाल के साथ बेहद कड़वे रहे हैं. गाहे-बगाहे अरविंद केजरीवाल केंद्र की मोदी सरकार पर दिल्ली में सरकार के काम में अड़ंगा लगाने, राजनीतिक नेतृत्व को परेशान करने और सरकार को ठप करने के आरोप लगाते रहे हैं.

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फिलहाल कई केंद्रीय एजेंसियां केजरीवाल सरकार के कई विभागों और उनके मंत्रियों के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही हैं. 'आप' नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमने 3 साल तक हमने सारी कोशिश कर ली, हाथ जोड़े, मिन्नतें कीं. केंद्र सरकार से लेकर गृह मंत्रालय से लेकर उपराज्यपाल तक, हर किसी से बात की, लेकिन आज पूरी तरह से चौतरफा विकास के काम को ठप किया जा रहा है,ॉ इसलिए यह सोचना पड़ा है कि पूर्ण राज्य बनाना है और दिल्ली के काम के रास्ता को आगे बढ़ाना है. 

दिल्ली को पूरा अधिकार देने के प्रस्ताव का खाका तैयार

'आप' ने दिल्ली को पूरा अधिकार देने के लिए प्रस्ताव का खाका भी तैयार किया है. इस प्रस्ताव के तहत राजधानी का नई दिल्ली इलाका जहां राष्ट्रपति आवास है, प्रधानमंत्री निवास है, संसद है और विदेशी दूतावास हैं, उसे सीधे-सीधे केंद्र सरकार के प्रशासन में चलाए जाने की बात कही गई है, जबकि नई दिल्ली के इधर दिल्ली को चुनी हुई दिल्ली के सरकार के अधीन करने की बात कही गई है. 'आप' का आरोप है कि एक समय पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही दिल्ली को पूरा अधिकार दिलाने के लिए राजनीतिक लड़ाई लड़ी, जिसे अब त्याग दिया गया है.

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कुछ समय पहले केजरीवाल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के मसले पर राजधानी में रेफरेंडम कराने की बात भी कही थी. रेफरेंडम हुआ नहीं, लेकिन केजरीवाल दिल्ली के विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने संबंधित एक प्रस्ताव लेकर आए हैं. इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा,  वहीं दूसरी तरफ सड़कों पर विपक्षियों को घेरने की रणनीति भी तैयार की जाएगी.

आप के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इस आंदोलन के पीछे दरअसल केजरीवाल काफी कुछ सोच रहे हैं. आम आदमी पार्टी को लगता है कि 2019 में नई दिल्ली में जो भी सत्ता में आएगा उसे दिल्ली जैसे छोटे राज्यों की 7 सीटों की भी दरकार होगी और ऐसे में समर्थन के बदले पूरा अधिकार मांगा जा सकता है. आम चर्चा है कि आप क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा बनाए जा रहे महागठबंधन का हिस्सा होगी, लेकिन क्या वो महागठबंधन केजरीवाल की मांग को पूरा कर पाएगा?

दूसरे दल भी इस मांग से सहमत

राष्ट्रीय जनता दल के नए नवेले राज्यसभा सांसद मनोज झा कहते हैं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना दिल्ली के लोगों पर एहसान नहीं बल्कि उनका अधिकार है और महागठबंधन केजरीवाल की इस मांग को पूरा करना होगा.  

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आरजेडी के साथ बिहार में गठबंधन करके मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से मिलने आए थे तब उन्होंने भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने जाने की मांग का समर्थन किया था. वामपंथी दल सीपीआई भी केजरीवाल की इस मांग से सहमत है.

सीपीआई के सांसद डी राजा ने बयान जारी करके कहा कि हम दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग से सहमत हैं, क्योंकि यह राजधानी की सबसे पुरानी मांग है.  दिल्ली के साथ पुदुच्चेरी को भी पूरा अधिकार मिलना चाहिए, क्योंकि दोनों ही जगहों पर विधानसभा है जहां लोग अपनी सरकार चुनते हैं. दिल्ली में उप-राज्यपाल और चुनी हुई सरकार के बीच तकरार बहुत ज्यादा है और ऐसे में दोनों के अधिकारों को लेकर टकराव तब तक चलता रहेगा जब तक उसे पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता. 

बीजेपी-कांग्रेस कर चुकी है पूरा अधिकार देने का वादा

इससे पहले इतिहास के पन्ने खंगाले तो 1998 से लेकर 2014 और 2015 तक के चुनावों में चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस हर किसी ने दिल्ली को पूरा अधिकार देने का वायदा अपने चुनावी घोषणा पत्रों में किया. बीजेपी के शासन काल में तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए मसौदा तक ले कर आए थे, जिसे बाद में प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाली स्टैंडिंग कमेटी के पास विचार करने के लिए भेज दिया गया था. बीजेपी के कद्दावर नेता साहिब सिंह वर्मा से लेकर मदन लाल खुराना और पूर्व दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन ने लगातार दिल्ली को पूरे अधिकार देने की मांग की.

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वहीं खुद दिल्ली में तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने भी बीते समय में कम अधिकार होने की व्यवस्था के चलते दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग बार-बार की. यह और बात है कि शीला दीक्षित को अब लगता है कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार को केंद्र की सरकार और उपराज्यपाल के साथ संबंध बनाकर काम करना पड़ता है. शीला दीक्षित का आरोप है कि केजरीवाल बहाना बना रहे हैं.  

शीला दीक्षित के इस बयान पर केजरीवाल ने सोशल मीडिया का सहारा लिया और लिखा कि शीला जी, आपके समय 10 साल केंद्र में आपकी अपनी सरकार,अपने LG थे. मैं चैलेंज करता हूं एक साल मोदी राज में दिल्ली चला के दिखा दो. कृपया पुदुच्चेरी में अपने मुख्यमंत्री से बात करें और उन्हें भी यह ज्ञान दें.  

इस राजनीतिक नूराकुश्ती में विरोधी केजरीवाल की चाल को बखूबी समझते हैं. शीला दीक्षित को जहां लगता है कि केजरीवाल अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं वही बीजेपी भी आरोप लगा रही है कि दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं. दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि बीजेपी भी दिल्ली को पूरा हक देने के पक्ष में है, लेकिन उसके लिए पहले अरविंद केजरीवाल को सर्वदलीय बैठक बुलाने के साथ-साथ विद्वानों की राय लेनी चाहिए. हालांकि बीजेपी का आरोप यह भी है कि वह पानी की कमी जैसी दूसरी समस्याओं से जूझते दिल्ली का समाधान करने में नाकाम हो रहे हैं इसीलिए पूर्ण राज्य का मुद्दा उठा रहे हैं.

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