आतंरिक सुरक्षा के मसले पर चौतरफा आचोलनाओं के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार आतंकवाद से निपटने में नरमी नहीं बरत रही है. साथ ही उन्होंने आतंक से मुकाबले के लिए और कठोर कानून बनाए जाने के विचार को खारिज नहीं किया.
हालांकि सरकार ने पहली बार माना है कि दिल्ली में हुए धमाके सुरक्षा एजेंसियों की चूक का नतीजा हैं. राज्यपालों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात मानी और कहा कि हाल के दिनों में कई शहरों में हुए धमाके से ये बात साफ हो गई है कि सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल ठीक नहीं है.
हालांकि आतंकवाद के खिलाफ लडा़ई के लिए देश में नई संघीय एजेंसी बनाने के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री ने एक तरह से खारिज कर दिया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लडा़ई के लिए यह जरूरी है कि पहले से ही मौजूद एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित किया जाए. प्रधानमंत्री के इस बयान का यह मतलब निकाला जा रहा है कि सरकार नई संघीय एजेंसी बनाने के अपने ही प्रस्ताव से पीछे हट रही है.
राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के मसले पर नरमी बरतने का कोई सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठन देश में नए माड्यूल बनाने में लगे हैं. यह एक चिंता का विषय है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि धमाकों में स्थानीय संगठनों की भूमिका से आतंकवाद का खतरा और भी बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार आतंक निरोधी कानून को और कठोर बनाए जाने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है. कठोर कानून का जिक्र करते हुए उन्होंने पोटा का नाम नहीं लिया.
कड़े कानून के मसले पर सरकार और कांग्रेस पार्टी के भीतर भी अलग-अलग मत उभरकर सामने आ रहे हैं. एक पक्ष और कड़े कानून की वकालत कर रहा है, जबकि दूसरा वर्ग मौजूदा कानूनों को पर्याप्त मान रहा है. गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी पोटा जैसे सख्त कानून की हिमायत कर चुकी है.