अरविंद केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बने हुए एक महीना बीत चुका है. इस एक महीने के सफर के बारे में केजरीवाल ने आजतक को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया. केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार कब गिरेगी ये तो ऊपरवाला ही जानता है लेकिन इस दौरान उन्हें जितना समय मिलेगा उसमें वो ज्यादा से ज्यादा काम करेंगे.
ऊपरवाला जाने कब गिरेगी सरकार...
जब केजरीवाल से पूछा गया कि उनकी सरकार कब गिर रही है, उन्होंने जवाब दिया- 'सरकार कब गिरेगी ये तो ऊपरवाला ही जानता है. हमें पता भी नहीं था कि हमें समर्थन मिलेगा या नहीं. उसी समय हमने कहा था कि हमारे पास 48 घंटे का समय है. इन 48 घंटों में हमने बिजली और पानी का दाम कम करवाया. जितना भी समय है हमारे पास हम लगे हुए हैं. हम रात-दिन काम कर रहे हैं. जल्द से जल्द जनलोकपाल और स्वराज कानून पास करना है. 15 दिन और लगेंगे जनलोकपाल लाने में.'
सोमनाथ भारती को नहीं हटाएंगे...
अरविंद केजरीवाल ने कहा- 'सोमनाथ भारती को हम नहीं बचा रहे हैं. सोमनाथ मेरे कोई रिश्तेदार नहीं हैं. उनसे दो गल्तियां हुईं. लेकिन उन्हें हम हटाएंगे नहीं. हमने सारे सबूत खंगाल लिए हमें उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला.'
लोकसभा चुनाव में लड़ना मकसद नहीं...
अरविंद केजरीवाल ने कहा- 'केजरीवाल ने कहा कि ऐसा कहना गलत है कि हम जनता से दूर हो रहे हैं. फोन रिसीव नहीं पा रहे हैं. हम सड़क पर रहते हैं. आधा टाइम जनता के बीच गुजरता है. लोकसभा चुनाव लड़ना हमारा मकसद नहीं है. दागियों को हराना हमारा मकसद है. हम केवल ईमानदार विकल्प दे सकते हैं.'
संविधान की बहुत इज्जत करता हूं...
उनसे जब सवाल किया गया कि संविधान को उन्होंने खारिज किया तो केजरीवाल ने कहा- 'संविधान की हम बहुत इज्जत करते हैं. कभी भी संविधान को खारिज नहीं किया. बाबासाहब अंबेडकर और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने 26 जनवरी 1950 को देश को सबसे सुंदर संविधान दिया था. संविधान में है कि राइट टू इक्वालिटी होगी, आज है हमारे देश में राइट टू इक्वालिटी? अमीर और गरीब को कानून बराबर समझता है? दिल्ली में पिछले साल 1600 रेप हुए, कहां है राइट टू लाइफ? दिल्ली की कोई महिला खुद को सुरक्षित नहीं समझती. आम आदमी के फंडामेंटल राइट्स के रोज परखच्चे उड़ रहे हैं. मंत्री का शीशा टूटता है तो 12 पुलिसवाले सस्पेंड होते हैं, महिला का रेप होता एक एसएचओ सस्पेंड नहीं किया जाता है. मंत्रियों के ढांचे ने खुद को संविधान मान लिया है. इसको बदलना होगा.'
जनता के साथ मिलकर दिल्ली पुलिस को ठीक कर लेंगे...
केजरीवाल ने कहा- 'लोग हमसे कहते थे कि दिल्ली पुलिस आपके कंट्रोल में नहीं है. हम कहते थे कि मानते हैं कि दिल्ली पुलिस हमारे कंट्रोल में नहीं है लेकिन जनता के साथ मिलकर उसको ठीक कर लेंगे. जनता ठीक करेगी दिल्ली पुलिस को. जनता बेबस नहीं है.'
काफी जगह भ्रष्टाचार कम हुआ है...
केजरीवाल ने कहा- 'हमारा मकसद चुनाव लड़ना नहीं है, हमारा मकसद देश की जनता को खड़ा करना, उसको तैयार करना है. देश की जनता में गुस्सा भरा पड़ा है. देश की जनता दुखी हो चुकी थी, जरूरत थी इसको संगठित करने की. वो धीरे-धीरे संगठित होती जा रही है. दिल्ली की जनता ने आजादी की सुगंध ले ली है. जनता कह रही है कि एक महीने के अंदर बहुत बदलाव आया है. काफी जगह भ्रष्टाचार कम हुआ है. कुछ चीजें ऐसी हैं जो मैं सचिवालय के अंदर मुख्यमंत्री के रूप में बैठकर करूंगा. कानून भ्रष्टाचार को प्रोटेक्शन देने के लिए नहीं है.'
सिस्टम में खत्म हो चुकी है जवाबदेही...
केजरीवाल से जब पूछा गया कि वो क्या संदेश देना चाहते हैं तो उन्होंने कहा- 'हमारा संदेश ये है कि इस दौरान पूरी की पूरी व्यवस्था गड़बड़ाई है. व्यवस्था गड़बड़ाने से सारे के सारे इंस्टीट्यूशन गड़बड़ाए हैं. मैं इंस्टीट्यूशन के खिलाफ नहीं हूं. कुछ इंस्टीट्यूशन अच्छा काम भी कर रहे हैं लेकिन ज्यादा से ज्यादा इंस्टीट्यूशन आम आदमी के हक में काम नहीं कर रहे हैं इसलिए आम आदमी त्रस्त हो चुका है. इन इंस्टीट्यूशन को जवाबदेह बनाने की जरूरत है. जब मैंने कहा कि एसएचओ को सस्पेंड करो तो ऐसा नहीं कि हम दिल्ली पुलिस के खिलाफ हैं. सिस्टम में जवाबदेही खत्म हो गई है.'
जनता के साथ शासक का सीधा संपर्क...
केजरीवाल ने कहा, 'मेरे सामने करीब 20 हजार लोग थे, जो अपनी शिकायत लेकर आए थे. मैं अंदर चला गया तो पुलिस आई और कहा कि लाठीचार्ज कर देते हैं और अभी भगा देते हैं इन लोगों को, मैंने मना किया. मैं छत पर गया और लोगों को संबोधित किया. जनता बहुत खुश हुई. मुख्यमंत्री सीधे जनता से क्यों न संपर्क करे.'
जंतर मंतर पर 45 दिन से अनशन पर बैठा है एक आदमी...
केजरीवाल ने बताया- 'जंतर मंतर पर मुझे पता चला कि एक आदमी 45 दिनों से अनशन पर बैठा है. कोई मीडिया नहीं आई, मैंने खुद इनिशिएटिव लिया और उसकी डिमांड की लिस्ट मंगवाई. हमारे देश में 45 दिनों से कोई क्यों अनशन पर बैठा है. उसकी जो डिमांड्स आई हैं उनमें से कुछ जायज हैं और हम उनपर काम कर रहे हैं. हम उसको इज्जत के साथ उठाएंगे. हमारे अपने लोग हैं कोई पाकिस्तानी या अमेरिकी नहीं हैं.'
इलेक्शन कमीशिन और CAG ने किया है अच्छा काम...
'कई सारे ऐसे इंस्टीट्यूशन भी हैं जिन्होंने इस दौरा में बहुत अच्छा काम किया है. जैसे इलेक्शन कमीशन, पहले आप देखते थे कि चुनाव कैसे होते थे अब आप देखते हैं कि चुनाव कैसे होने लगे हैं. सीएजी है- सीएजी ने बहुत अच्छा काम किया है. कई इंस्टीट्यूशन हैं जो अच्छा काम नहीं कर रहे हैं उन्हें जवाबदेह बनाकर उनसे अच्छा काम करवाने की जरूरत है.'
जनता को खड़ा होना है...
केजरीवाल ने कहा, 'जनता खड़ी होगी. जिस दिन जनतंत्र के अंदर जनता सो जाती है, अरविंद केजरीवाल जरूरी नहीं है. कांग्रेस और बीजेपी भी जरूरी नहीं है. जिस दिन जनता खड़ी हो जाती है और जनता के दिल के अंदर आजादी की भावना आ जाती है बाकी सारी चीजें अपने आप धीरे-धीरे होती जाएंगी.'
अन्ना के आंदोलन का पड़ा असर
अन्ना के आंदोलन के असर के बारे में केजरीवाल ने कहा- 'अन्ना आंदोलन का 3 साल में असर पड़ा है. देश की जनता मान चुकी थी कि देश का कुछ नहीं हो सकता. हम जंतर मंतर पर 4 अप्रैल 2011 को बैठे थे फिर रामलीला मैदान पर अनशन हुआ. देश की जनता ने मांग की थी कि भ्रष्टाचार खत्म हो. सभी नेताओं ने संसद में बैठकर वादा किया था कि हम कानून बनाएंगे. क्या कानून बनाया? लोगों को धोखा दिया गया. तब साफ हो गया था कि जनता को संसद के अंदर जाना होगा. इसीलिए हमने पार्टी बनाई.'
ईद मिलन पर लगाया था सिब्बल को गले...
कपिल सिब्बल को गले लगाने की बात पर केजरीवाल ने जवाब दिया- 'ईद मिलन का दिन था और सारी पार्टियां थीं. मैं बीजेपी के विजेंदर गुप्ता जी से भी गले मिला था, वो फोटो नहीं आई. अगर हम पॉलिटिकल पार्टी में कनवर्ट हो चुके होते तो मुख्यमंत्री रात को सड़क पर नहीं सोता. दो दिन के धरने पर नहीं बैठता.'
धरना देने से कमजोर नहीं होता आदमी...
अपने धरने के बारे में केजरीवाल ने कहा, 'कोई भी आदमी धरना देने से कमजोर नहीं होता. आदमी त्याग करने से कमजोर नहीं होता. त्याग वही कर सकता है जिसके अंदर ताकत हो. मेरे को धरने पर बैठने से पहले कहा गया था कि आप मुख्यमंत्री बन चुके हैं और आपको शोभा नहीं देता धरने पर बैठना. आपके मंत्रियों को शोभा नहीं देता कि इस तरह से रात को निकल जाएं. हम शीला दीक्षित, कांग्रेस, बीजेपी नहीं हैं... अब एक्शन होगा आप एक्शन लीजिए और मैं धरने पर बैठ गया.'