आज वह खुद को राजनीतिक क्रांतिकारी कहते हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कभी नहीं सोचा था कि वह राजनीति में आएंगे, पार्टी बनाएंगे और चुनाव लड़ेंगे. केजरीवाल कहते हैं, मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं राजनीति में आऊंगा.' पिछले महीने कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए अभूतपूर्व तरीके से धरने पर बैठे केजरीवाल ने उस समय खुद को अराजकतावादी कहा था. आज वह उस टिप्पणी की व्याख्या करते हुए तर्क देते हैं कि भ्रष्ट राजनीतिक और कॉरपोरेट नेता, कुछ नौकरशाह और मीडिया के कुछ लोग खुशी से रह रहे हैं जबकि आम आदमी नाखुश है.
केजरीवाल ने पीटीआई से बातचीत में कहा, 'जब हम व्यवस्था को बदलने की बात करते हैं तो इन लोगों के लिए यह अराजकता में बदल जाती है. उनके लिए मैं अराजकतावादी हूं.' यह सवाल किए जाने पर कि क्या वह खुद को राजनीतिक क्रांतिकारी कहेंगे, 45 साल के 'आप' नेता ने कहा, 'हां, मैं राजनीतिक क्रांतिकारी हूं.' उनसे सवाल किया गया कि वह उन लोगों के लिए क्या कहेंगे जो उन्हें तानाशाह बुलाते हैं. इस पर केजरीवाल ने कहा, 'क्या आपको लगता है कि प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव जैसे लोग एक तानाशाह के साथ काम कर सकते हैं? बहुत से लोग हमारे पास आ रहे हैं. क्या वे एक तानाशाह के साथ काम करेंगे?' केजरीवाल ने कहा कि 'आप' का नेतृत्व समग्रता में रहा है और यदि हम तानाशाह होते तो, चार लोग भी हमारे साथ खड़े नहीं होते.
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कभी सोचा था कि उनके सपने राजनीति तक जाएंगे, केजरीवाल ने कहा कि अक्तूबर 2012 में पार्टी का गठन किए जाने के बाद उन्हें कुछ अच्छा करने की उम्मीद थी लेकिन उन्होंने नहीं सोचा था कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बन जाएंगे. इस सवाल पर कि क्या अब उनकी प्रधानमंत्री बनने की तमन्ना है, उन्होंने 'ना' में जवाब दिया और जोर देते हुए कहा कि उनका मकसद भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है जिसके लिए 'आप' संघर्ष कर रही है. उन्होंने कहा, 'हम यहां सत्ता की राजनीति करने के लिए नहीं आए हैं.'
यह पूछे जाने पर कि क्या इसके बावजूद वह प्रधानमंत्री बनेंगे, केजरीवाल ने कहा, आप कोई भी भविष्यवाणी कर सकते हैं. कौन जानता है? केजरीवाल इस बारे अभी तक फैसला नहीं कर पाए हैं कि वह लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लेकिन उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वो चुनाव लड़ेंगे लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता दिल्ली है.
केजरीवाल ने कहा कि 'आप' उन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान करेगी जहां से दूसरी पार्टियों के भ्रष्ट उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं और उनके खिलाफ 'आप' के उम्मीदवार लड़ेंगे. यह संख्या 150 या 200 या 250 अथवा 350 हो सकती है. केजरीवाल ने कहा, 'हम यह नहीं कह रहे हैं कि हमारी पार्टी केंद्र में सरकार बनाएगी, लेकिन हमारे लोग जितने अधिक संख्या में संसद के लिए निर्वाचित होंगे, भ्रष्ट लोगों के लिए उतनी ही मुश्किल बढ़ेगी.'
बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी या कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी पर कोई टिप्पणी करने से इंकार करते हुए केजरीवाल ने कहा, 'मैं केवल इतना कह सकता हूं कि दोनों एक ही राजनीतिक व्यवस्था के हिस्से हैं और मैं नहीं समझता कि देश की जनता को दोनों से कोई उम्मीद है. केजरीवाल ने इस मामले में पूरी तरह साफ कर दिया कि लोकसभा चुनाव में त्रिशंकु फैसला आने की सूरत में 'आप' किसी राजनीतिक दल के साथ नहीं जाएगी या सत्ता की राजनीति में भागीदार नहीं बनेगी. उन्होंने कहा, 'हम जिएंगे, लड़ेंगे और मरेंगे. यह आप देखेंगे.' केजरीवाल खुद को जल्दबाजी वाले मुख्यमंत्री कहलाए जाने का बुरा नहीं मानते. वह कहते हैं, 'मैं समझता हूं कि किसी को भी जल्दबाजी में होना चाहिए. समय कम है और जिंदगी छोटी है. एक दिन में केवल 24 घंटे होते हैं.'
यह पूछे जाने पर कि सत्ता की कुर्सी पर बैठने के बाद उनकी जिंदगी में क्या बदलाव आया है, केजरीवाल ने कहा कि इसका सबसे पहला शिकार उनकी पारिवारिक जिंदगी हुई है. वह कहते हैं कि शनिवार को परिवार के साथ फिल्म देखना बंद हो गया है. उनके सरकारी आवास में कोई पड़ोसी नहीं है. गाजियाबाद में (जहां वह पहले रहते थे) उनकी मां और पत्नी घर से बाहर जाती थीं और पड़ोसियों के साथ गपशप करती थीं. अब न तो परिवार के पास और न ही उनके पास कोई विकल्प है.
उन्होंने कहा, 'जिस दिन हम अच्छी नीतियों को लागू कर सकेंगे, मैं राजनीतिक संन्यास ले लूंगा. जब देश अच्छे के लिए बदल जाएगा, आम आदमी पार्टी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा.' इस बात की ओर उनका ध्यान आकर्षित किए जाने पर कि इस काम में सैकड़ों साल लग जाएंगे, तो केजरीवाल ने इससे असहमति जाहिर की. उन्होंने कहा, 'लोग जागरूक हो रहे हैं और खड़े हो रहे हैं. आपको क्षितिज पर रोशनी दिखेगी.'