दिल्ली की एक कोर्ट ने गुरुवार को बुजुर्ग व्यक्ति को बड़ी राहत दी. कोर्ट ने उनके बेटे को पिता का घर छोड़ने का आदेश दिया. पिता की इच्छा अपनी संपत्ति का एक हिस्सा अपनी बेटियों को भी देने की थी और इस वजह से बेटा उन्हें परेशान कर रहा था.
अतिरिक्त जिला जज कामिनी लाउ ने अपने फैसले में कहा कि जीवन कोई
सीढ़ी नहीं बल्कि एक पहिया है जो पूरा चक्कर लगाता है. उन्होंने कहा कि बुजुर्ग अभिभावकों के खिलाफ बच्चों के अनुचित और अवैध आचरण को रोकने के लिए
न्यायपालिका आगे आएगी. कोर् ने कहा कि 73 वर्षीय गंगा शरण त्रिपाठी उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में एक संपत्ति के मालिक हैं और अपनी संपत्ति को लेकर
उन्हें पूरा अधिकार है.
कोर्ट ने कहा कि उनके बेटे अरविन्द त्रिपाठी और बहू बिंदु त्रिपाठी को वहां सिर्फ रहने का अधिकार है. पिता के साथ बुरा व्यवहार करने की वजह से वहां रहने का उनका अधिकार खत्म हो गया है क्योंकि उनके पिता ने उनसे नाता तोड़ लिया है.
जज ने इसके साथ ही पिता को राहत प्रदान कर दी. उन्होंने अपने
फैसले में यह भी कहा, यह हमारे समाज में सामान्य घटना हो गई है कि जब कभी अभिभावक अपनी संपत्ति में बेटियों को हिस्सा देने के बारे में सोचते हैं तो परिवार
के पुरूष सदस्यों की इस पर तीखी प्रतिक्रिया तथा आपत्ति होती है और इसके फलस्वरूप बुजुर्ग अभिभावकों के साथ दुव्र्यवहार होता है.
इनपुट भाषा