मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की एक छात्रा के साथ वर्ष 2002 में हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रमुख दोषी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है. यह उल्लेख करते हुए कि आरोपी राहुल ने न सिर्फ ‘‘जानवर की तरह बर्ताव किया बल्कि वह अत्यंत खूंखार ढंग से भी पेश आया’’ न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग की अध्यक्षता वाली पीठ ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा जिसने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
अदालत ने हालांकि दूसरे दोषी अमित को बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया और पुलिस को उसे छोड़ने के लिए कहा क्योंकि वह पहले ही सात साल की कैद काट चुका है. राहुल और उसके सहयोगी अमित को जनवरी 2005 में एक मेडिकल छात्रा के साथ निचली अदालत ने बलात्कार का दोषी ठहराया था. मेडिकल की चतुर्थ वर्ष की छात्रा के साथ 15 नवम्बर 2002 को चाकू की नोंक पर मध्य दिल्ली के ‘खूनी दरवाजे’ में बलात्कार किया गया था.
निचली अदालत ने राहुल और अमित को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और दो अन्य आरोपियों अशोक तथा मोहन लाल को बरी कर दिया था. अशोक पर अरोपियों को शरण देने और मोहन लाल पर आरोपियों से चोरी की संपत्ति हासिल करने का आरोप था. दिल्ली पुलिस ने 2003 में चार लोगों राहुल, अमित, मोहन लाल तथा अशोक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. यह मामला उस समय काफी सुखिर्यों में रहा था.