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गैंगरेपः वी के सिंह बोले, 'नपुंसक' हो रहा है प्रशासन

पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने शुक्रवार को कहा कि एक चलती बस में छात्रा से गैंगरेप की घटना ‘प्रशासन के पूरी तरह ध्वस्त’ होने का परिचायक है. इसके साथ ही उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस बल राजधानी में अति विशिष्ट लोगों की ‘सुरक्षा एजेंसी से अधिक कुछ नहीं’ है.

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जनरल वीके सिंह
जनरल वीके सिंह

पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने शुक्रवार को कहा कि एक चलती बस में छात्रा से गैंगरेप की घटना ‘प्रशासन के पूरी तरह ध्वस्त’ होने का परिचायक है. इसके साथ ही उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस बल राजधानी में अति विशिष्ट लोगों की ‘सुरक्षा एजेंसी से अधिक कुछ नहीं’ है.

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सिंह ने कहा कि व्यवस्था ‘पूरी तरह बेनकाब’ हो चुकी है क्योंकि न केवल उस बस में सवार एक बेटी इस व्यवस्था के भरोसे पर थी बल्कि सैंकड़ों अन्य बेटियों पर भी हमलावरों की ओर से इस प्रकार का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि व्यवस्था कोई भी कार्रवाई नहीं कर पा रही है और यह ‘नपुंसकता बढ़ रही है.’

उन्होंने कहा, ‘बेधड़क शहर में घूमती एक बस में 23 वर्षीय छात्रा के साथ जघन्य गैंगरेप और नृशंस हमला इस बात का संकेत है कि प्रशासन पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है. यह घटना तो पूरी व्यवस्था को झकझोरने वाली होनी चाहिए.’

सिंह ने कहा, ‘मैं इस बहादुर लड़की के जिंदा रहने की प्रार्थना करता हूं और मेरी संवेदनाएं उसके परिवार के साथ हैं. हम इसे जेसिका लाल मामले की तरह नहीं छोड़ सकते. उस मामले में यदि उसके परिवार का प्रयास नहीं रहता तो उसके हत्यारे फिर से खुलेआम घूमते. व्यवस्था को सबसे बड़ी चेतावनी मिल चुकी है. हमें जागना होगा , इससे पहले कि बहुत देर हो जाए.’

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उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि सुरक्षा मुहैया कराना हर सरकार की हलफिया ड्यूटी है, खासतौर से पुलिस और न्यायपालिका की. उन्होंने कहा लेकिन इसके बजाय ‘हम ऐसी स्थिति में हैं जहां लगभग हर रोज प्रशासन के हर संस्थान का क्षरण हो रहा है.’

सिंह ने कहा, ‘आज, हर वह एजेंसी जिसे राज्य में पुलिस तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है, वह दिल्ली के तथाकथित ‘वीवीआईपी वर्ग’ तथा धनी और प्रसिद्ध लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने वाली एजेंसी से अधिक कुछ नहीं रह गयी है. एक औसत नागरिक के लिए गंभीर से गंभीर मामले में भी मामला दर्ज कराना एक प्रकार से असंभव है. ऐसे में किसी प्रकार का न्याय मिलने की बात तो छोड़ ही दीजिए.’

उन्होंने कहा, ‘पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को उनका काम करने दिया जाए, शासक वर्ग द्वारा व्यवहार के नैतिक मापदंड स्थापित किए जाने चाहिए. संकीर्ण राजनीतिक बाध्यताओं के चलते लिया गया हर नीतिगत फैसला हमारी व्यवस्था को ध्वस्त करता है और इसके अंदरूनी तथा बाहरी सुरक्षा पर गलत प्रभाव पड़ते हैं.’

सिंह ने कहा, ‘आज हमारे देश के समक्ष स्पष्ट संदेश है कि केवल पैसा ही मायने रखता है. आप कैसे यह पैसा कमाते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यदि आपके पास पैसा है तो आप सुरक्षित हैं, अन्यथा आपकी जिंदगी नरक है.’

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