दिल्ली गैंगरेप मामले में शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे चारों दोषियों को सजा सुनाई जाएगी. सभी दोषियों को उम्रकैद या फांसी की सजा हो सकती है. आज राजधानी की साकेत अदालत में सजा पर बहस पूरी हो गई, जिसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया.
बहस के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट से दोषियों पर रहम न करने की अपील की. वकील ने कहा है कि जिसने खुद दया नहीं की, उस पर दया नहीं की जानी चाहिए. दोषियों ने बेहद क्रूर अपराध किया और इस घटना ने पूरे समाज को झकझोरा है, इसलिए यह दूसरे मामलों से अलग है और इसे 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' मानना चाहिए.
नई उम्र के बच्चे हैं, माफ कर दो: बचाव पक्ष का वकीलइससे पहले बहस के दौरान दोषियों के वकीलों ने दलील दी कि फांसी की सजा मूल अधिकारों का हनन है और ऐसे मामलों में उम्रकैद की सजा ही दी जाती है. उन्होंने भावनात्मक आधार पर भी दोषियों के लिए कम सजा की मांग की. उन्होंने कहा कि सभी दोषियों की उम्र 30 साल से कम है, वे गरीब परिवार से हैं और परिवार उन पर आश्रित हैं, इसलिए उन्हें फांसी की सजा न सुनाई जाए.
अक्षय ठाकुर के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल अभी 19 साल का है, इसलिए उसके सुधरने की उम्मीद है. वहीं मुकेश के पक्ष में दलील दी गई है कि वह भले ही बस चला रहा हो, पर इसका यह मतलब नहीं कि उसने वारदात को अंजाम दिया हो.
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अदालत ने मंगलवार को मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को 13 धाराओं में दोषी करार दिया था. इन धाराओं में दोषी पाए जाने पर न्यूनतम उम्रकैद की सजा है. अगर अदालत मामले को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' मानती है तो दोषियों को फांसी की सजा भी सुनाई जा सकती है.
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'निर्भया' के परिवार ने दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग की है. हालांकि आरोपियों के वकील कह चुके हैं कि वे फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे. दोषियों के लिए फांसी की मांग राजनीतिक जमात और कई जानी-मानी हस्तियों की ओर से भी आई है. गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी परोक्ष रूप से ऐसी उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा है कि गैंगरेप पर कड़े कानून बनाए गए हैं और भविष्य में भी दोषियों को फांसी की सजा दी जाएगी. लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने भी दोषियों को फांसी देने की मांग की है.
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130 बार बैठी अदालत, 85 गवाह हुए पेश
साकेत कोर्ट के कमरा नंबर 304 में गैंगरेप पर सबसे बड़ा फैसला बुधवार को सुनाया जाएगा. मामले पर जिरह के लिए 7 महीने में 130 बार अदालत बैठी और सुनवाई पूरी होने के बाद 3 सितंबर को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 85 गवाह पेश किए गए, जिनमें सबसे अहम रहा घटना का चश्मदीद और पीड़ित लड़की का दोस्त.
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बिटिया का बयान अहम कड़ी
दिल्ली की साकेत कोर्ट में जो सबूत पेश किए गए, उनमें शामिल है, लड़की का मरने से पहले दिया गया बयान, वो बस जिसमें वारदात को अंजाम दिया गया था, आरोपियों की बस का सीसीटीवी फुटेज, गैंगरेप के आरोपियों के खून से सने कपड़े, डीएनए सैंपल, फॉरेंसिक और मेडिकल रिपोर्ट. 16 दिसंबर की रात गैंगरेप की शिकार हुई लड़की 13 दिन तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझती रही और आखिर में सिंगापुर के अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया था.
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16 दिसंबर को हुई थी घटना
देश भर को झकझोर देने वाली ये वारदात 16 दिसंबर, 2012 की सर्द रात की है. लड़की अपने दोस्त के साथ 'लाइफ ऑफ पाई' फिल्म देखकर निकली थी और मुनिरका से अपने दोस्त के साथ चार्टर्ड बस में चढ़ गई. इस बस में छात्रा के साथ कई बार गैंगरेप किया गया और बाद में बेसुध हालत में उसको उसके दोस्त के साथ सड़क पर फेंक दिया. आरोपियों ने सड़क पर फेंकने के बाद दोनों को कुचलकर मारने का भी प्लान बनाया था.
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नाबालिग आरोपी को सुनाई जा चुकी है सजा
इस सनसनीखेज वारदात के महज 19 दिन बाद 2 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी. पुलिस ने इस मामले में कुल 6 आरोपी बनाए जिनमें से मुख्य आरोपी राम सिंह ने इसी साल 11 मार्च को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली, जबकि छठे नाबालिग आरोपी को दोषी मानते मानते हुए ज्यूवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सुधरने के लिये 3 साल तक बाल सुधार गृह भेज दिया.