scorecardresearch
 

दुष्कर्म पीड़िता को मुफ्त आंत प्रत्यारोपण की पेशकश

दिल्ली में एक चलती बस में 23 वर्षीय युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म को लेकर जहां देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं शहर के एक अस्पताल ने पीड़िता को मुफ्त आंत प्रत्यारोपण की पेशकश की है. मध्य दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल ने बाद के इलाज में होने वाले सभी खर्च वहन करने का भी प्रस्ताव दिया है.

Advertisement
X

दिल्ली में एक चलती बस में 23 वर्षीय युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म को लेकर जहां देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं शहर के एक अस्पताल ने पीड़िता को मुफ्त आंत प्रत्यारोपण की पेशकश की है. मध्य दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल ने बाद के इलाज में होने वाले सभी खर्च वहन करने का भी प्रस्ताव दिया है.

Advertisement

सर गंगाराम अस्पताल के (प्रबंधन मंडल के) चेयरमैन डी.एस. राणा ने सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक बी.डी. नाथानी को इस प्रस्ताव से अवगत कराया है. पीड़िता का सफदरजंग अस्पताल में ही इलाज चल रहा है.

युवती का इलाज कर रहे चिकित्सकों ने गुरुवार को कहा कि वे पीड़िता को सर्वोत्तम इलाज मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उसका जीवन खतरे में है. उसकी आंत के एक क्षतिग्रस्त हिस्से को निकालने के लिए ऑपरेशन हुआ है, और इसके कारण उसमें संक्रमण का खतरा बना हुआ है.

राणा ने कहा, 'शहर के एक निजी अस्पताल में फिजियोथिरेपिस्ट का प्रशिक्षण ले रही युवती की पीड़ा के बारे जानने के बाद हमने उसके मुफ्त इलाज की पेशकश की है. सर गंगाराम अस्पताल ने देश में पहली बार और जीवित दाता व्यक्ति से आंत प्रत्यारोपित किया है, जिसे इस वर्ष एक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.'

Advertisement

सर गंगा राम अस्पताल में सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी एवं अंग प्रत्यारोपण विभाग के अध्यक्ष समिरन नंदी ने कहा कि आंत प्रत्यारोपण ही एक मात्र इलाज है, जिसके जरिए पीड़िता को स्वस्थ आंत मिल सकती है.

चिकित्सकों ने कहा कि आंत के हिस्से को या तो किसी मस्तिष्क मृत व्यक्ति या फिर किसी जीवित दाता से हासिल किया जा सकता है.

सर गंगाराम अस्पताल में प्रत्यारोपण सर्जन नैमिश मेहता ने कहा, 'आंत फेल होने या आंत्रेतर पोषण की विफलता की स्थिति में प्रत्यारोपण मरीजों के लिए जीवन रक्षक बन सकता है. हालांकि भारत में किसी मृत दाता से कोई अंग पाना कठिन है. जीवित दाता का विकल्प भी कुछ ही सम्भव है. पीड़िता की हालत स्थिर होने के बाद ये दोनों विकल्प उसके लिए आजमाए जा सकते हैं.'

Advertisement
Advertisement