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दिल्ली सरकार ने नहीं सौंपे सबूत, कैसे खर्च हुए 19,000 करोड़: CAG

नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की है. CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले कुछ साल के दौरान दिल्ली सरकार ने करीब 19,000 करोड़ रुपये किस तरह खर्च किए, इसका कोई सबूत नहीं सौंपा गया है.

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नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की है. CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले कुछ साल के दौरान दिल्ली सरकार ने करीब 19,000 करोड़ रुपये किस तरह खर्च किए, इसका कोई सबूत नहीं सौंपा गया है.

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CAG ने कई तरह की गड़बड़ि‍यों के बारे में रिपोर्ट दी है. CAG ने मध्याह्न भोजन योजना (MDM) सहित विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं को लागू करने में खामियों या गड़बड़ि‍यों का खुलासा किया है. उसने दिल्ली सरकार को विभिन्न संस्थानों से फंड के इस्तेमाल के सबूत हासिल नहीं करने पर लताड़ लगाई है.

CAG ने दिल्ली पर्यटन व परिवहन विकास निगम के प्रदर्शन की भी आलोचना की है. CAG ने कहा है कि गठन के 39 साल बाद भी यह दिल्ली में पर्यटन विकास के लिए कोई संभावित योजना नहीं बना सका है. रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न संस्थानों से उनको जारी किए जाने वाले अनुदान के बारे में इस्तेमाल प्रमाणन (UC) हासिल करने में देर हुई.

UC जुटाने में हुई देरी
मार्च, 2013 तक दिए गए 26,434.30 करोड़ रुपये के 5,235 अनुदानों में से विभिन्न विभागों से मार्च, 2014 तक 19,064.02 करोड़ रुपये के 4,784 इस्तेमाल के प्रमाण नहीं मिले थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 4,784 बकाया UC में से 5,651.17 करोड़ रुपये के 2,267 (47.39 फीसदी) यूसी 10 साल से अधिक से बकाया थे.

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'मध्याह्न भोजन योजना में बरती गई कोताही'
रिपोर्ट में एमडीएम योजना का आकलन करते हुए कहा गया है कि प्राथमिक व उच्चतर प्राथमिक स्कूलों में कुल निश्चित दिनों तक मध्याह्न भोजन नहीं दिया. 2010-14 के दौरान तैयार भोजन के 2,102 नमूनों में से 89 प्रतिशत या 1,876 नमूने पोषण परीक्षण में फेल हो गए.

शिक्षा निदेशालय पर भी उठे सवाल
CAG ने शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी धन में 70 करोड़ रुपये के अंतर का भी जिक्र किया है. CAG ने दिल्ली के शिक्षा निदेशालय की ओर से सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए दिल्ली राज्य औद्योगिक व आधारभूत संरचना विभाग निगम (DSIIDC)को 70 करोड़ रुपये का धन अनियमित रूप से जारी किए जाने की बात कही है. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि शिक्षा निदेशालय ने डीएसआईआईडीसी के लिए 343.13 करोड़ रुपये की रकम जारी की, जबकि कैबिनेट ने इस परियोजना के लिए 272.94 करोड़ रुपये की अनुमति दी थी.

इसमें कहा गया है कि यह परियोजना का जिम्मा शिक्षा निदेशालय ने औपचारिक समझौते और विस्तृत कार्य योजना के बिना ही डीएसआईआईडीसी को सौंप दिया. CAG के अनुसार डीएसआईआईडीसी ने 183 स्कूलों में काम पूरा होने का दावा किया, लेकिन शिक्षा निदेशालय ने पाया कि सिर्फ 78 स्कूलों में काम पूरा हुआ है.

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