दिल्ली सरकार ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की दया याचिका से संबंधित फाइल का निपटारा कर इसे उप राज्यपाल के पास भेज दिया है. दया याचिका पर केंद्र द्वारा राय मांगे जाने के चार साल बाद दिल्ली सरकार ने यह कदम उठाया.
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने संवाददाताओं से कहा ‘फाइल आगे चली गई है’. उन्होंने हालांकि इन सवालों का जवाब नहीं दिया कि फाइल कहां भेजी गई है. शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि गृह विभाग फाइल को उप राज्यपाल तेजिंदर खन्ना के कार्यालय को भेज चुका है जो इसका अध्ययन करेंगे और फिर वापस दिल्ली सरकार को भेजेंगे.
उप राज्यपाल के कार्यालय द्वारा वापस किए जाने के बाद राज्य गृह विभाग इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय भेजेगा. फाइल का निपटारा तब किया गया जब दिल्ली सरकार को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में 16वां स्मरणपत्र भेजा गया और अफजल की दया याचिका पर उसकी राय मांगी गई.
सरकार ने सोमवार को कहा था कि दया याचिका पर वह ‘कम से कम समय’ में अपनी राय भेजेगी. दिल्ली सरकार फाइल पर लगभग चार साल से चुपचाप बैठी थी और मुम्बई हमलों के दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी आमिर अजमल कसाब को सजा ए मौत सुनाए जाने के बाद अफजल का मामला फिर से सुखिर्यों में आ गया. {mospagebreak}
वर्ष 2002 में 18 दिसंबर को एक स्थानीय अदालत ने अफजल गुरु को संसद पर 13 दिसंबर 2001 को हमला करने का षड्यंत्र रचने, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने और कत्लेआम का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनायी थी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने अफजल को सुनाई गयी मौत की सजा को 29 अक्तूबर 2003 को बरकरार रखा और दो वर्ष बाद चार अगस्त 2005 को उच्चतम न्यायालय ने भी उसकी अपील खारिज कर दी.
एक सत्र अदालत ने अफजल को तिहाड़ जेल में फांसी पर चढ़ाने के लिये 20 अक्तूबर 2006 की तारीख तय की थी. इसके बाद दोषी ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की जिसे टिप्पणी के लिये केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजा गया. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग को टिप्पणी के लिये फाइल भेजी. ऐसा मानक आवश्यकता के चलते किया गया क्योंकि फांसी राजधानी में दी जानी है.