नोटबंदी और जीएसटी से दिल्ली को कितना नुकसान हुआ इस पर केजरीवाल सरकार सर्वे कर रही है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मुताबिक, सर्वे के लिए दिल्ली सरकार अलग-अलग विभागों के ज़रिए आंकड़े इकट्ठे कर रही है. हालांकि, जब पूछा गया कि दिल्ली में रोजगार पर या आर्थिक स्थिति पर कितना असर पड़ा, तो सिसोदिया ने कहा कि फिलहाल कोई आंकड़े उपलब्ध नही हैं.
मनीष सिसोदिया ने आगे मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यशवंत सिन्हा ने आर्थिक स्थिति पर जो आर्टिकल लिखा है वो देश की अर्थव्यवस्था को बयां करता है. दो बड़े नेता चिदंबरम और यशवंत सिन्हा पहले ही देश की आर्थिक हालत खराब होने के बारे में कह चुके हैं. हम आर्थिक स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
कुछ टॉप घरानों का फायदा हो रहा है, लेकिन आम लोगों का नुकसान हो रहा है. 2014 में बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन आज देश की आर्थिक स्थिति को गड्ढे में डाला जा रहा है. चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है.
जीडीपी को लेकर सिसोदिया ने कहा कि सबसे कम स्तर पर अभी जीडीपी है, 2014 के मुकाबले 2017 में बेहद नीचे गिर गई है. यहां जीडीपी 1% कम होने का मतलब है देश मे डेढ़ लाख करोड़ का नुकसान. पिछले 25 साल यानी 1992 से 2017 में सबसे कम प्राइवेट कंपनियों का निवेश रहा है. रोजगार के बड़े वादे हुए, लेकिन हर साल 1 करोड़ 20 लाख युवा नौकरी के लिए तैयार होते हैं. जबकि स्टार्टअप इंडिया के बावजूद जॉब नहीं है.
उपमुख्यमंत्री ने जीडीपी गिरने की वजह भी गिनाई. उन्होंने कहा कि नोटबंदी बड़ा फेलियर था. देश की अर्थव्यवस्था को सबसे बड़ा नुकसान हुआ. 150 लोग मारे गए, 15 लाख लोगों की नौकरी गई. जीएसटी एक अच्छा आयडिया था, लेकिन इसका डिज़ाइन से टैक्स चोरी बढ़ गई है. 32 हजार करोड़ से आज 48 हजार करोड़ के बजट पर दिल्ली सरकार खड़ी है, लेकिन केंद्र सरकार ने रेड राज को बढ़ावा दिया है.
आम जनता के संविधान को सुरक्षित करने में मोदी सरकार फेल हो रही है. पत्रकार मारे जा रहे हैं, असहिष्णुता बढ़ रही है. गुंडई को बढ़ावा दिया जा रहा है, गाय के नाम पर हत्या हो रही है. विजय माल्या जैसे लोगों को हाथ से जाने दिया गया. 8 लाख करोड़ के लोन की तरफ ध्यान नहीं दिया गया. स्किल इंडिया की बजाय लाठी इंडिया पर काम हो रहा है.