दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एचएल दत्तू को देश का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए जाने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. रॉ की एक पूर्व महिला अधिकारी और वकील ने याचिका दाखिल कर दत्तू पर यौन प्रताड़ना का आरोप लगाया था.
चीफ जस्टिस जी. रोहिणी और जस्टिस प्रदीप नंदराजोग की खंडपीठ ने महिला की याचिका खारिज कर दी. महिला ने अपनी याचिका में न्यायमूर्ति दत्तू को चीफ जस्टिस नियुक्त करने संबंधी राष्ट्रपति से की गई सरकार की सिफारिश निरस्त करने की मांग की थी.
खंडपीठ ने कहा, 'एक बार जब राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है तो हम कुछ नहीं कर सकते. यह हस्तक्षेप का मामला नहीं है.'
याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से मौजूद अतिरिक्त महाधिवक्ता संजय जैन ने महिला की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि राष्ट्रपति दत्तू को अगले चीफ जस्टिस नियुक्त करने के संबंध में अपनी मंजूरी पांच सितंबर को दे चुके हैं.
जैन ने यह भी कहा कि याचिका गंभीरता से विचार करने योग्य नहीं है और ऐसे में इस पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए.
51 वर्षीय महिला ने यौन प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए अपनी याचिका में कहा, 'सरकार की ओर से जस्टिस एच. एल. दत्तू को जस्टिस के रूप में नियुक्त करने के लिए राष्ट्रपति को की गई अनुशंसा रद्द की जाए.'
यह महिला रिसर्च एंड एनेलीसिस विंग (रॉ) में 1987 बैच की प्रथम श्रेणी की कार्यकारी काडर की अधिकारी थीं और उन्हें 2009 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति मिल चुकी है.