महिला पत्रकार के यौन उत्पीड़न के मामले में तहलका के संपादक तरुण तेजपाल को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है. बुधवार को गोवा पुलिस का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत पर 29 नवंबर तक के लिए फैसला सुरक्षित कर लिया. साथ ही कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया. उधर गोवा पुलिस ने बताया कि सेक्शन 164 के तहत पीड़िता का बयान मजिस्ट्रेट के पास दर्ज हो रहा है.
उधर गोवा पुलिस ने तरुण तेजपाल को हाजिर होने के लिए जो समन भेजा है, उसकी टाइम लाइन गुरुवार दोपहर तीन बजे तक की रखी गई है. यानी इस समय से पहले तेजपाल को पूछताछ के लिए हाजिर होना होगा.
तरुण तेजपाल पर आरोप है कि 7 और 8 नवंबर को गोवा के एक पांच सितारा होटल में उनकी मैगजीन तहलका के सालाना थिंक फेस्ट के दौरान उन्होंने मुंबई की एक महिला पत्रकार का दो बार यौन उत्पीड़न किया था. महिला पत्रकार ने अपनी प्रबंध संपादक शोमा चौधरी को इसकी मेल से शिकायत की थी. इसके जवाब में तरुण ने यौन उत्पीड़न का अपराध स्वीकार करते हुए माफी मांगी थी और छह महीने के लिए अपना पद छोड़ दिया था. मगर इस मेल के सार्वजनिक होते ही हड़कंपा मच गया.
गोवा पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.महिला आय़ोग ने भी इस मामले पर नजरें गड़ा दीं. उधर शुरुआत में अपनी गलती मान चुके तेजपाल बाद में बयान से पलट गए और मीडिया इंटरव्यू में कहने लगे कि ये परस्पर सहमति का मामला था और बीजेपी की गोवा सरकार उन्हें जबरन फंसा रही है.
उधर महिला पत्रकार ने आरोप लगाया कि तहलका के परिवार के लोग उन पर मामला वापस लेने का दबाव डाल रहे हैं. इस संबंध में दिल्ली के पांडव नगर थाने में भी एक मामला दर्ज हुआ. मंगलवार को पीड़ित पत्रकार ने गोवा पुलिस को औपचारिक तौर पर अपना बयान दर्ज करवाया. उधर पुलिस ने दिल्ली आकर शोमा चौधरी के अलावा उन तीन तहलका कर्मियों से भी बात की, जिन्हें लड़की ने अपने साथ हुए वाकये की सबसे पहले जानकारी दी थी.
इस मामले के खुलासे के साथ तरुण तेजपाल की संपत्तियों, बिजनेस साझेदारियों और राजनीतिक संपर्कों पर भी सवाल उठने लगे. आरोप लगाया गया कि कांग्रेस के मंत्री कपिल सिब्बल उनके रिश्तेदार हैं और इस मामले में उन्हें बचाने का जतन कर रहे हैं. कहा गया कि सिब्बल और तृणमूल कांग्रेस के सांसद केडी सिंह की तहलका में हिस्सेदारी है. सिब्बल ने हिस्सेदारी की बात नकारी और सिंह ने कहा कि तहलका के दैनंदिन काम से उनका कोई लेना देना नहीं है और रही हिस्सेदारी की बात, तो वह जल्द ही इसे भी खत्म कर देंगे.
फिलहाल तरुण तेजपाल पर कानून का शिकंजा कसता दिख रहा है और मुमकिन है कि गुरुवार को उनकी गिरफ्तारी भी हो जाए. कोर्ट से कोई राहत न मिलने के बाद उनके पास पुलिस के सामने आने के अलावा कोई कानूनी चारा भी नहीं बचा है.