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प्रदूषण: दिल्ली HC का आदेश- बेरोजगार मजदूरों को काम पर लगाएं

प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद अब दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कड़ा रुख अपना लिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को सभी कॉर्पोरेशन, एनडीएमसी और राज्य सरकार को सड़कों के किनारे से मलबा और डस्ट हटाने का आदेश दिया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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  • अतिक्रमण हटाने के लिए एक्शन प्लान तैयार करने को कहा
  • दो दिन में हलफनामा दायर करने का दिया आदेश

प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद अब दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कड़ा रुख अपना लिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को सभी कॉर्पोरेशन, एनडीएमसी और राज्य सरकार को सड़कों के किनारे से मलबा और डस्ट हटाने का आदेश दिया. कोर्ट ने दो दिन में हलफनामा दायर करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी.

हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कंस्ट्रक्शन बंद है. मजदूर बेरोजगार हैं. लिहाजा उन्हें काम पर लगाइए. वो दिल्ली के सड़को से डस्ट हटाएं. हाई कोर्ट ने दिल्ली के सभी कॉर्पोरेशन को भी आदेश दिया कि जिसके पास जो लैंड है वहां से डस्ट हटवाएं और फिर कंक्रीट बनाएं. दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ से कहा कि वो अतिक्रमण हटाने के लिए एक्शन प्लान तैयार करे और स्पेशल टास्क फोर्स को इसमें लगाए.

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डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट ने कोर्ट में क्या कहा

दरअसल, डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ ने हाई कोर्ट में कहा कि 15 फरवरी से 15 अक्टूबर तक दिल्ली में पेड़ लगाए गए थे. अभी और पेड़ नहीं लगाए जा सकते. विभाग ने इसके लिए हर तरफ पहले से पेड़ लगाए जाने का तर्क दिया और कहा कि फॉरेस्ट एरिया में हर तरफ पेड़ लगाए जा चुके हैं. विभाग की ओर से कहा गया कि बाकी स्थानों पर फॉरेस्ट के लैंड पर एनक्रोचमेंट है.

कितने हेक्टेयर भूभाग पर है अतिक्रमण

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने कोर्ट में बताया कि 317 हेक्टेयर जमीन पर काफी अतिक्रमण है. डिपार्टमेंट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सर्वे किए जाने की भी जानकारी दी और कहा कि जिन स्थानों पर अतिक्रमण किया गया है, उन्हें चिन्हित किया जा रहा है. गौरतलब है कि वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई थी.

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