जजों पर आपत्तिजनक ट्वीट करने वालों के खिलाफ कोई कानूनी एक्शन लिया जा सकता है या नहीं. इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल और बार एसोसिएशन से ये सवाल पूछा है. दिल्ली हाईकोर्ट यह जानना चाहता है कि ऐसे लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को एएसजी और बार से यह सवाल एक ट्वीट पर स्वत संज्ञान लेते हुए किया है.
दरअसल, यह ट्वीट पत्रकार और CA एस. गुरुमूर्ति द्वारा किया गया था. अपने इस ट्वीट में एस. गुरुमूर्ति ने कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट के जज मुरलीधर पी. चिदंबरम के जूनियर रह चुके हैं. हाल ही में जज मुरलीधर ने कार्ति चिदंबरम की उस याचिका पर सुनवाई की थी जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में कार्ति की ईडी द्वारा गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई थी.
इस मामले में बार और केंद्र सरकार की तरफ से एएसजी का रुख बेहद अहम होगा. क्योंकि एक तरफ सोशल मीडिया पर आजादी से अपनी राय रखने का मामला है, तो दूसरी तरफ आपत्तिजनक टिप्पणी से दूसरों की छवि को प्रभावित करने का. हालांकि सोशल मीडिया में घमासान मचाने वाले इस ट्वीट को एस. गुरुमूर्ति ने डिलीट कर दिया है.