दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को सेना की वर्दी खुले आम बिकने पर एक्शन न लेने पर फटकार लगाई है. कोर्ट ने पूछा है कि केंद्र सरकार दिल्ली समेत पूरे देश में सेना की वर्दी और सेना से जुड़े सामान की बिक्री रोकने के लिए गंभीर क्यों नहीं है?
कोर्ट ने कहा केंद्र और राज्य सरकारें लोगों की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. कोर्ट ने टिप्पणी की, 'लगता है कि केंद्र सरकार की इसमें कोई दिलचस्पी ही नहीं है.'
दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक एनजीओ 'फाइट फॉर ह्यूमन राइट्स' की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की. इस याचिका में कहा गया है कि देश में खुलेआम सेना की वर्दी और दूसरे समान जैसे- जूते, बेल्ट टोपी को धड़ल्ले से बेचा जा रहा है.
इसी का फायदा उठा आतंकवादियों ने जनवरी 2016 में पठानकोट मे भारतीय वायुसेना के बेस कैंप पर हमला कर दिया था. इस हममें लेफ्टिनेंट कर्नल समेत 7 जवानों की मौत हुई थी. अब तक केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया कि इस मसले पर साल 1986- 99 के बीच कुछ निर्णय लिए गए थे, लेकिन उनका भी पालन नही किया जा रहा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने 8 हफ्ते के भीतर उन फैसलों को पेश करने को कहा है.
राजधानी दिल्ली 26 जनवरी के मौके पर आतंकवादियों के निशाने पर रहती है, लिहाजा इस तरह की जनहित याचिका सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की आंखें खोलने के लिए काफी है.