आधार के डाटा लीक से जुड़े मामलों को लेकर लगाई गई एक जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और यूआईडीएआई को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने 6 हफ्ते में केंद्र सरकार और यूआईडीएआई (UIDAI) से जवाब मांगा है कि लोगों की आधार से जुड़ी जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए उनके पास क्या व्यवस्था है.
केरल के वकील शामनाद बशीर की तरफ से लगाई गई याचिका में कहा गया है कि आधार का डाटा कई बार लीक हो चुका है. और आधार में दी गई लोगों की व्यक्तिगत जानकारियों को कई दफा कई लोग सार्वजनिक कर चुके हैं. वहीं मीडिया में भी इससे जुड़ी रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें 500 रुपये में आधार से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारियां सार्वजनिक तौर पर शेयर की गई.
याचिका में कहा गया है कि UIDAI और आधार बनवाने वाले लोगों के बीच में यह सीधे तौर पर "ब्रीच ऑफ ट्रस्ट" का मामला है. और UIDAI को ऐसे लोगों को मुआवजा देना चाहिए जिनके डाटा को लीक किया गया. याचिका में कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि केंद्र सरकार या तो निर्देश दे कि UIDAI आधार से जुड़े तमाम डाटा को डिलीट कर देंगी, क्योंकि इसमें सुरक्षा से जुड़ी हुई तमाम खामियों की वजह से लोगों की व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक हुई है,या फिर लोगों को विकल्प दिया जाए कि वह आधार रखना चाहते हैं या नहीं.
याचिका में बड़ा सवाल यह भी उठाया गया है कि अब तक जो भी डाटा अलग-अलग लोगों की तरफ से लीक किया गया है, उनके खिलाफ जांच बैठाई जाए. साथ ही एक कमेटी का गठन करके ना सिर्फ ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, बल्कि यह भी तय हो सिस्टम की किन गड़बड़ियों की वजह से आधार से डाटा को चुराया जाना संभव हुआ.
हालांकि इस तरह की जानकारियों के सार्वजनिक होने के बाद डाटा लीक होने के मामले में UIDAI ने FIR भी दर्ज करवाई है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि आधार में लोगों से ली गई उनकी व्यक्तिगत जानकारियां कितनी सुरक्षित हैं. इस मामले में अब केंद्र सरकार और UIDAI की तरफ से आने वाला जवाब बेहद अहम होगा.
सरकार डाटा लीक को लेकर पहले भी कई बार विपक्ष के निशाने पर रही है. ऐसे में इस याचिका पर हाईकोर्ट से जो भी फैसला आएगा उसमें यह देखना अहम होगा कि आगे डाटा लीक ना हो इसको लेकर सरकार को किस तरह के निर्देश कोर्ट की तरफ से दिए जाते हैं.