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जनसंख्या नियंत्रण पर सरकार को निर्देश देने से हाई कोर्ट ने किया इनकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, जनसंख्या नियंत्रण के लिए नीतियां बनाने का काम संसद और विधायिका का है, भला इसमें हम कैसे दखल दे सकते हैं.

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सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

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  • दिल्ली हाई कोर्ट में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दाखिल याचिका पर हुई सुनवाई
  • बीजेपी प्रवक्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है याचिका

बीजेपी प्रवक्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दाखिल की गई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण पर नीति बनाना हमारा काम नहीं है. ये केंद्र सरकार का काम है. हाई कोर्ट ने इस याचिका का निपटारा ये कह कर दिया कि इस मामले में याचिकाकर्ता केंद्र सरकार से संपर्क करे और अपने सुझाव सरकार को दे.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा जनसंख्या नियंत्रण के लिए नीतियां बनाने का काम संसद और विधायिका का है, भला इसमें कोर्ट कैसे दखल दे सकती है. कोर्ट का काम कानून की व्याख्या करना है या फिर सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों का पालन नहीं कर रहा हो तो उसके लिए अलग-अलग विभागों को निर्देश देना है.

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जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाना सरकार का अधिकार है. अगर यह काम भी कोर्ट करने लगेगा तो उसे सरकार के कई विभागों के लिए काम करना पड़ेगा. लिहाजा हमें नहीं लगता कि कोर्ट को इस जनहित याचिका पर सुनवाई करने की कोई आवश्यकता है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार ये नीतियां बनाने में सक्षम हैं कि सरकारी नौकरी, किसी भी तरह की सब्सिडी, वोट देने का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार या संपत्ति पर अधिकार आम आदमी अपने परिवार को सिर्फ दो बच्चों तक ही सीमित कर दे. सरकार को नीतियां बनाने के लिए निर्देश देने का काम कोर्ट का नहीं है.

मई में लगाई गई इस याचिका में केंद्र सरकार से जनसंख्या नियंत्रण के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की गई थी. बीजेपी प्रवक्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की तरफ से ये याचिका इस आधार पर दायर की गई थी कि देश में अपराध, बढ़ता प्रदूषण और नौकरियों की कमी का मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट ही है, लिहाजा इस पर रोक लगाना जरूरी है.

याचिका में जनसंख्या नियंत्रण के लिए न्यायमूर्ति वेंकटचलैया की अगुवाई में राष्ट्रीय संविधान समीक्षा आयोग (एनसीआरडब्ल्यूसी) की सिफारिशें लागू करने का भी अनुरोध किया गया था. याचिका में जनसंख्या नियंत्रण को रोकने के लिए कुछ नियम सख्ती से पालन होने जरूरी हैं और जो भी जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग न करें उस व्यक्ति को वोट देने का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार और मुफ्त कानूनी सहायता जैसी सुविधाओं से वंचित कर देना चाहिए.

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याचिका के मुताबिक, दो बच्चों के बाद फैमिली प्लानिंग को अनिवार्य किया जाना चाहिए. लॉ कमीशन को भी इस मामले में अपनी रिपोर्ट तैयार करके निर्देश देने चाहिए कि जनसंख्या को नियंत्रण में रखने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं. क्योंकि जनसंख्या को अगर इस वक्त नियंत्रित नहीं किया गया तो भारत को इसके भयंकर दुष्परिणाम भविष्य में भी भुगतने पड़ेंगे. आज की तारीख में खेती की जमीन कम और लोग ज्यादा हो गए हैं.

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