कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने अपनी पार्टी के नेतृत्व पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने मंगलवार को कहा कि जिस संगठन में पूरा जीवन लगाया, उसकी स्थिति देख कर पीड़ा होती है. पार्टी की हार का कारण भीतर है, बाहर नहीं. पार्टी में कई ऐसी बातें हुईं, जिससे मैं सहमत नहीं था और ये मैंने पार्टी नेतृत्व को बताया था. उन्होंने कहा कि आर्थिक आरक्षण ऐसा मसला था जिसके बारे मैंने अध्यक्ष को कहा था कि मैं आपसे सहमत नहीं हूं.
जनार्दन द्विवेदी सबसे लंबे समय तक कांग्रेस महासचिव रहे हैं. उन्होंने 2018 में स्वेच्छा से रिटायरमेंट ली थी. जनार्दन द्विवेदी ने पांच कांग्रेस अध्यक्षों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और सोनिया गांधी के साथ काम किया है. उन्हें सोनिया गांधी और राहुल गांधी का करीबी माना जाता है.
जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि अगले अध्यक्ष का नाम फाइनल करने के लिए कांग्रेस कार्य समिति की तुरंत बैठक बुलाई जानी चाहिए. द्विवेदी ने कहा कि अभी पता नहीं चल पा रहा है कि कौन सी कोर्डिनेशन कमेटी किससे बात कर रही है और किससे सुझाव ले रही है. एक कोर्डिनेशन कमेटी बनाई गई थी लेकिन वह चुनवा के लिए थी. नियमतः राहुल गांधी को अपना पद छोड़ने से पहले ही ऐसी कोई कमेटी बना देनी चाहिए थी.
अभी हाल में कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया और पार्टी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष मिलिंद एम. देवड़ा ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इस बीच, शनिवार को कर्नाटक में सत्तासीन कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 11 विधायकों के इस्तीफे के बाद 13 महीने पुरानी राज्य सरकार संकट में आ गई है. राहुल गांधी के पद छोड़ने के बाद से ही देश भर से पार्टी पदाधिकारियों के विरोध और इस्तीफे का दौर चल रहा है.