सीबीआई ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि दिल्ली पुलिस के दंगे रोधी विशेष प्रकोष्ठ ने 1984 के सिख विरोधी दंगे मामलों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को बचाने की खातिर दिखावटी जांच और अभियोग चलाया. कुमार इस मामले में प्रमुख आरोपी हैं.
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर हलफनामे में एजेंसी ने न्यायालय द्वारा 13 अगस्त को लगाई गई रोक को हटाने को कहा और दलील दी कि इसने कांग्रेस नेता के खिलाफ
अभियोजन को गंभीर रूप से पक्षपातपूर्ण बनाया है.
न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम और न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान की पीठ ने हलफनामे को ऑन रिकार्ड लेते हुए एजेंसी की अर्जी पर अंतिम सुनवाई की तारीख सात सितंबर निर्धारित की. इस याचिका में सीबीआई ने दिल्ली छावनी थाने के तहत हुए दंगों के मामले में कुमार के खिलाफ अभियोग चलाने की मांग की है. इस दंगे में 60 लोग मारे गए थे.
दंगे पीड़ितों में से एक के वकील दुष्यंत दवे ने अदालत से इस आधार पर स्थगन आदेश को हटाने की मांग की कि इससे हजारों लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. इसपर पीठ ने कहा, ‘मिस्टर दवे कोई भी असंवेदनशील नहीं है.’