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रियलिटी चेक: महिलाओं की सुरक्षा के वादे अधूरे

16 दिसंबर की घटना के बाद सरकार और प्रशासन ने बड़े बड़े वादे किए. कुछ वादे पूरे भी हुए, लेकिन अभी भी कई वादे आधे-अधूरे हैं. वादों का रियलिटी टेस्ट किया आजतक ने...

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पिछले 2 दिनों के भीतर दिल्ली-एनसीआर में गैंगरेप की 8 घटनाएं सामने आ चुकी हैं. 1 जनवरी से 15 फरवरी के बीच अकेले दिल्ली में बलात्कार के 181 मामले दर्ज हो चुके हैं. आखिर कब थमेगा दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार? सवाल इसलिए भी बड़ा है, क्योंकि 16 दिसंबर की घटना के बाद सरकार और प्रशासन ने बड़े बड़े वादे किए. कुछ वादे पूरे भी हुए, लेकिन अभी भी कई वादे आधे-अधूरे हैं. आजतक ने वादों का रियलिटी टेस्ट किया.

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16 दिसंबर 2012 ही वो काली तारीख है जिस रात दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती एक बस में 6 दरिंदों ने देश की एक बहादुर बेटी की हंसती खेलती जिंदगी को तबाह कर दिया था. दिल्ली और देश की सड़कों पर लोगों की भावनाएं, उनका गुस्सा ऐसा उमड़ा कि समाज से लेकर सियासत तक में हड़कंप मच गया. सरकार ने भी उस वक्त जख्म भरने के लिए कई वायदों का मरहम लगाया. ऐसा लगा कि बस अब तो दिल्ली में महिलाएं बिलकुल सुरक्षित हो चुकी हैं.

बात कुछ महीने पुरानी हो चुकी है लेकिन दिल्ली में, खासकर रात में जमीनी हालात में ऐसा कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आ रहा है, जो दिल्ली की महिलाओं को यह भरोसा दिला सके कि वो राजधानी की सड़कों पर रात में सुरक्षित हैं, महफूज हैं.

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आजतक के 5 संवाददाताओं के कैमरों में कैद हकीकत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि रात के वक्त आज भी दिल्ली की सड़कों पर सुरक्षा के वैसे कोई पुख्ता इंतजाम नहीं दिखाई दे रहे हैं, जिसका वादा सरकार के मंत्रियों और आला अधिकारियों ने लोगों से किया था.

डालिए एक नजर उन वादों पर:
वादा नंबर 1: रात में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी.

वादा नंबर 2: एसीपी से लेकर ज्वाइंट सीपी रैक का अफसर रात 12 बजे तक सड़कों पर सुरक्षा का जायजा लेंगे.

वादा नंबर 3: गृह राज्यमंत्री ने खुद हर महीने रात में एक-दो बार सुरक्षा का मुआयना करने की बात कही थी.

वादा नंबर 4: रात में हर अहम सड़क पर बैरिकेडिंग और चौकसी में बढ़ोतरी की बात कही गई थी.

वादा नंबर 5: डीटीसी की रात में चलने वाली हर बस में महिला सुरक्षा के लिए एक गार्ड की नियुक्ति का वादा किया गया था.

वादा नंबर 6: महिला सुरक्षा के लिए 181 नंबर की नई आपात फोन सुविधा बहाल करने की बात कही गई थी, लेकिन उसके कारगर होने की हकीकत भी अब सवालों के घेरे में है.

न तो दिल्ली पुलिस का कोई बड़ा अफसर गश्त करते दिखाई दिया, न ही पिछली कई रातों से गृह राज्यमंत्री सुरक्षा का जायजा लेते दिख रहे हैं. न तो बैरिकेडिंग में हर गाड़ी की चेकिंग हो रही है और न ही 181 नंबर डायल करने पर महिलाओं की पुख्ता सुरक्षा की गारंटी है. फिर वादे झूठे नहीं, तो और क्या हैं?

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