दिल्ली में हर रोज महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 40 मामले दर्ज किए जाते हैं, जिनमें बलात्कार, छेड़खानी और यौन उत्पीड़न जैसे मामले ही ज्यादा होते हैं.
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार एक जनवरी से 20 अक्टूबर के बीच दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के 16 प्रतिशत अधिक मामले दर्ज हुए हैं. इस अवधि में ऐसे कुल 11,683 मामले दर्ज हुए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में ऐसे मामलों की संख्या 10,064 ही थी.
दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 को हुए निर्भया कांड के बाद पुलिस में दर्ज होने वाले ऐसे मामलों में वृद्धि देखी गई है, जो तकरीबन 500 प्रतिशत तक है.
पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पुलिसकर्मियों के लिए आयोजित किए गए कार्यक्रमों ने भी इसमें बहुत मदद की है. निर्भया कांड से पहले इस तरह के कई मामले पीड़ित पक्ष या फिर पुलिसकर्मियों के हिचकने के कारण दर्ज नहीं होते थे.
दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने बताया, ‘वर्ष 2013 में कानून में संशोधन करके ऐसा अनिवार्य बनाया गया कि यदि कोई महिला पुलिस थाने में किसी संज्ञेय अपराध के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराने आती है, तो उसे मना नहीं किया जाएगा.’ इस बार 20 अक्टूबर तक दिल्ली में 3450 उत्पीड़न, 1024 छेड़खानी और 2563 अपहरण के मामले दर्ज हुए हैं, जबकि इसी अवधि में पिछले साल यह क्रमश: 2544, 793 और 2553 थे.
इस वर्ष अगवा करने और दहेज के लिए हत्या करने के मामलों में भी वृद्धि देखी गई है. अगवा करने के 311 और दहेज के लिए हत्या के 131 मामले दर्ज हुए हैं, जो पिछले साल इसी अवधि में क्रमश: 253 और 123 थे.
घरेलू हिंसा के मामलों में भी मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस साल ऐसे 2370 मामले दर्ज हुए हैं, जो पिछले साल 2457 थे. पुलिस के अनुसार इस अवधि में दर्ज किए गए मामलों में से लगभग 90 प्रतिशत मामले सुलझा लिए गए हैं और दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
---इनपुट भाषा से