दिल्ली की एक अदालत ने एक वृद्ध महिला और उसके 12 वर्षीय पौत्र की वर्ष 2007 में दक्षिण दिल्ली के उनके घर में हत्या करने वाले घरेलू नौकर को गुरुवार को मौत की सजा सुनाई.
अदालत ने इसे ‘विरलतम’ मामला माना. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस के सरवरिया ने सजायाफ्ता मिथिलेश कुमार सिंह की दया याचिका को ठुकरा दिया और कहा, ‘उसका कृत्य सजा में नरमी बरते जाने योग्य नहीं है.’ अदालत ने एक जुलाई को उसे हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती और साक्ष्य मिटाने का दोषी पाया था.
बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले मिथिलेश ने करमवीर (12) और रिश्ते में उसकी दादी सुरजीत कौर (60) की दो मार्च 2007 को दक्षिणी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में स्थित उनके घर में हत्या कर दी थी. घरेलू नौकर के तौर पर काम करने वाले मिथिलेश ने उनके पालतू कुत्ते को बेहोशी की दवा दे दी और आभूषण एवं नकदी लेकर फरार होने से पहले दोनों की हत्या कर दी.
उसे मृतक लड़के की बहन मेहर लेघा (15) की सहायता से पकड़ा गया था. घरेलू नौकर ने लड़की पर भी हमला किया जिसके बाद उसने हल्ला कर दिया और उसे पकड़ा जा सका. बाद में लड़की को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2008 से नवाजा गया. मेहर के अलावा मामले में उसकी मां मंजीत लेघा और पिता से भी पूछताछ की गई. उसकी मां दिल्ली पब्लिक स्कूल, नोएडा में शिक्षिका हैं जबकि पिता सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी हैं.