डूसू चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. कैंपस में छात्र संगठनों के उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार तेज़ हो गया है. बता दें कि इस साल डूसू चुनाव अगले हफ्ते 12 सितम्बर यानी कि मंगलवार को है, लिहाज़ा उम्मीदवारों के पास चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ 2 दिन का समय है. शनिवार को ज्यादातर छात्र कॉलेज नहीं आते, रविवार को छुट्टी होगी और सोमवार को छात्र नेता प्रचार नहीं कर पाएंगे. इसीलिए डूसू में शामिल सभी 51 कॉलेजों में चुनाव प्रचार करना उम्मीदवारों के लिए चुनौती भरा है.
एबीवीपी के अध्यक्ष प्रत्याशी रजत चौधरी ने कहा कि एबीवीपी ही एक मात्र ऐसा छात्र संगठन है, जो पूरे साल छात्रों की समस्याओं के निराकरण के लिए काम करता है. इसीलिए दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र एक बार फिर से एबीवीपी को डूसू की कमान थामेंगे यह हमारा विश्वास है.
एनएसयूआई के प्रेसिडेंड कैंडिडेट का नॉमिनेशन रद्द होने की वजह से एबीवीपी का जोश दोगुना हो गया, तो वहीं एनएसयूआई चुनाव प्रचार में इस मुद्दे को भुनाने में लगीं है.
अलका अब एनएसयूआई की नई प्रेसिडेंड कैंडिडेट है. दरअसल, रॉकी तुषिर का नॉमिनेशन चुनाव समिति ने रद्द कर दिया था. चुनाव समिति के मुताबिक, रॉकी पर संबंधित कॉलेज ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी. लिहाजा अब रॉकी डूसू चुनाव नहीं लड़ सकेगा.
रॉकी की जगह अब अलका एनएसयूआई के प्रसिडेंट पोस्ट पर चुनाव लड़ रही हैं. इतना ही नहीं एनएसयूआई के उम्मीदवार इस मुद्दे को लेकर छात्रों के बीच भी जा रहे हैं. एनएसयूआई का आरोप है कि रॉकी तुषिर का नॉमिनेशन साज़िश के तहत रद्द किया गया है.
एवीबीपी और एनएसयूआई जहां अपने समर्थकों के साथ गाड़ियों के काफिले के जरिये प्रचार कर रहे थे, वही आइसा के कैंडिडेट के वोट अपील का तरीका बेहद सामान्य था. एसएफआई और इनसो के उम्मीदवार भी इस मुकाबले में जोर-आजमाइश करते दिखे. आपको बता दें कि 12 सितम्बर को डूसू के सेंट्रल पैनल के लिये 51 कॉलेज के छात्र मतदान करेंगे. वोटरों की संख्या 1.35 लाख है. नतीजा 13 सितम्बर को आएगा.