क्या आरटीआई के तहत एक पत्नी पासपोर्ट ऑफिस से पति के बारे में जानकारी हासिल कर सकती है? यह सवाल बेहद दिलचस्प है लेकिन इसी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें सीआईसी (केंद्रीय सूचना आयोग) के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है.
फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई तक सीआईसी के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें आरटीआई के तहत पति के पासपोर्ट से जुड़ी जानकारियां पासपोर्ट ऑफिस के माध्यम से देने के सीआईसी ने आदेश दिए थे.
दरअसल यह मामला कोर्ट तक इसलिए आया क्योंकि पति-पत्नी साथ नहीं रहते और उन दोनों के बीच में वैवाहिक विवाद चल रहा है. अब कोर्ट को इस मामले में ये फैसला करना है कि क्या पासपोर्ट के लिए आवेदन देने वाले व्यक्ति के आवेदन फॉर्म के साथ जो जानकारियां या फिर दस्तावेज उसके द्वारा जमा कराए गए हैं वह उसकी निजी जानकारियां हैं या फिर किसी तीसरे पक्ष की जानकारी है.
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इसके अलावा इन दस्तावेजों और जानकारियों को क्या आरटीआई के माध्यम से किसी और को देने के लिए सार्वजनिक किया जा सकता है या नहीं. क्या आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(J) इस बात की इजाजत देती है या नहीं. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त की तारीख तय की है.
पत्नी ने सीआईसी का दरवाजा खटखटाया
यह मामला कोर्ट तक इसलिए पहुंचा क्योंकि पति ने पासपोर्ट ऑफिस से अपनी पत्नी को लेकर आरटीआई के माध्यम से कुछ जानकारियां मांगी थी जो ऑफिस के सूचना अधिकारी द्वारा मुहैया करा दी गई लेकिन जब पति से जुड़ी हुई जानकारी पत्नी ने मांगी तो इसके लिए मना कर दिया गया.
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इसके खिलाफ पत्नी ने सीआईसी का दरवाजा खटखटाया. यहां पर सीआईसी ने फैसला पत्नी के पक्ष में देते हुए सीपीआईओ को निर्देश दिया कि महिला के पति से जुड़ी जानकारियां उसे मुहैया कराई जाएं. विदेश मामलों के मंत्रालय ने 15 मई को सीआईसी की तरफ से जारी किए गए आदेश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में ये याचिका दायर की है.
मंत्रालय का तर्क है कि पासपोर्ट जारी करने के लिए जमा किए गए दस्तावेज या सूचनाओं के बारे में आरटीआई आवेदनकर्ता को नहीं बताया जा सकता, और इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी कई फैसले आ चुके हैं.