दिल्ली की एक त्वरित अदालत ने शादी का झूठा वादा कर एक युवती से बलात्कार करने और उसके गर्भवती होने के बाद उसे छोड़ देने के जुर्म में एक युवक को दस साल कैद की सजा सुनाई है.
अदालत ने कहा कि दो साल तक मुस्लिम युवती के साथ शारीरिक संबंध रखने के बाद दीपक डोगरा ने उससे विवाह करने से मना कर दिया. कानूनी दंड से बचने के लिए दीपक ने नकली विवाह समारोह किया, जबकि उसे पता था कि न तो यह कानूनी है और न ही जायज है. त्वरित अदालत ने कहा ‘युवती द्वारा पेश सबूतों से यह साफ है कि दीपक ने मंदिर में फर्जी विवाह समारोह किया.’
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश निवेदिता अनिल शर्मा ने कहा, ‘इससे स्पष्ट है कि उसका इरादा कभी भी युवती से विवाह का नहीं था. वह जानता था कि वह हिन्दू है और युवती मुस्लिम है. फिर भी आरोपी ने फर्जी विवाह किया, जबकि पुजारी ने उसे बता दिया था कि उस मंदिर में विवाह नहीं होता.’ अदालत ने ‘दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना’ के तहत युवती को एक लाख रुपये का मुआवजा भी दिया.
मुबारकपुर निवासी दीपक पर 60,000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए अदालत ने कहा कि यह राशि भी पीड़ित को मुआवजे के तौर पर दे दी जानी चाहिए. अभियोजन पक्ष के अनुसार, 20 वर्षीय युवती ने अक्तूबर 2010 को दीपक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. उसने आरोप लगाया कि दीपक ने शादी का झूठा वादा कर उसके साथ दो साल से अधिक समय तक बलात्कार किया.
युवती ने पुलिस से कहा कि 21 वर्षीय दीपक उसके पड़ोस में रहता है. उसने उससे शादी का वादा किया था लेकिन उसके गर्भवती होने के बाद दीपक ने उससे विवाह करने से मना कर दिया और उसे गर्भपात कराने के लिए कहा.
दीपक के रवैये से क्षुब्ध पीड़ित ने पुलिस से संपर्क किया. खुद को बचाने के लिए दीपक अपने परिवार के साथ पीड़ित को मंदिर ले गया, दोनों ने एक दूसरे को मालाएं पहनाईं, उसकी मांग में सिंदूर लगाया और कहा कि उसने उसके साथ विवाह कर लिया. फिर दीपक ने सबूत के तौर पर कुछ तस्वीरें लीं और उसे छोड़ दिया.
अदालत ने कहा, ‘दीपक हिन्दू है और युवती मुस्लिम है. जब तक दोनों में से एक भी धर्म परिवर्तित कर दूसरे का धर्म न अपनाए तब तक उनका विवाह नहीं हो सकता. या फिर दोनों को विशेष विवाह कानून के तहत विवाह कर सकते थे.’ आरोपी को बलात्कार का दोषी और कानूनन शादी किए बिना फर्जी विवाह समारोह करने का दोषी इहराया गया.
आरोपी के साथ दैहिक संबंध बनाने के लिए युवती की सहमति के संदर्भ में न्यायाधीश ने कहा कि सबूतों से यह साफ है कि दीपक ने अपनी बहन की शादी के बाद मुस्लिम युवती से शादी करने का वादा कर उससे शारीरिक संबंध बनाए थे.
न्यायाधीश ने कहा, ‘अगर वह ऐसा वादा नहीं करता तो युवती उसे अपने साथ दैहिक संबंध बनाने की अनुमति नहीं देती.’ दोषी ने नरमी की अपील करते हुए कहा था कि वह फैक्टरी में काम करता है और पूरा परिवार उस पर ही निर्भर है. अदालत ने हालांकि नरमी से इंकार करते हुए कहा कि उसने एक असहाय युवती से बलात्कार किया जो आसानी से उसकी शिकार बन गई.