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दिल्ली में लोगों को 5 नवंबर के बाद ही मिलेगी प्रदूषण से राहत

राजधानी दिल्ली में गुरुवार को हवा भी वायु प्रदूषण के मामले में खतरनाक रही है. दिल्ली के प्रदूषण को लगातार मापने वाली मौसम विभाग की एजेंसी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक यहां पर ज्यादातर जगहों पर पीएम 2.5 का प्रदूषण 449 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा है.

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प्रदूषण
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राजधानी दिल्ली में गुरुवार को हवा भी वायु प्रदूषण के मामले में खतरनाक रही है. दिल्ली के प्रदूषण को लगातार मापने वाली मौसम विभाग की एजेंसी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक यहां पर ज्यादातर जगहों पर पीएम 2.5 का प्रदूषण 449 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा है. इन महीन कणों की सेफ लिमिट महज 60 माइक्रोग्राम होती है. इसी तरह पीएम 10 कणों का लेवल 564 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा है. इन कणों की सेफ लिमिट 80 माइक्रोग्राम होती है. तो कुल मिलाकर दिल्ली की हवा में खतरनाक कणों का प्रदूषण पिछले सात दिनों से लगातार अलार्मिंग लेवल से काफी ऊपर दर्ज किया जा रहा है. इसलिए राजधानी दिल्ली में कोहरे की स्थिति बनने से स्मॉग हर जगह नजर आ रहा है.

गुरुवार सुबह दिल्ली के सफदरजंग में कोहरे की वजह से विजिबिलिटी गिरकर 50 मीटर तक पहुंच गई. इस स्थिति को घने कोहरे की श्रेणी में रखा जाता है. दिन में कोहरा तो छंटा लेकिन वायु प्रदूषण पर कोई खास असर नहीं दिखा. इसके उलट राजधानी दिल्ली में कई जगहों पर सतह पर ओजोन की मात्रा तेजी से बढ़ी. दोपहर होते होते दिल्ली विश्वविद्यालय और मथुरा रोड पर ओजोन गैस की मात्रा सामान्य के मुकाबले बढ़ी हुई रिकॉर्ड की गई. इस स्थिति को अलॉर्मिंग कहा जा सकता है.

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वजह ये है कि वैसे तो ओजोन ऊपरी वायुमंडल में अच्छी मानी जाती है लेकिन जब ये जमीन पर बढ़ती है तो सांस में इसको अंदर लेने पर ये फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है. ओजोन काफी अस्थिर गैस है और ये जल्द ही टूटकर ऑक्सीजन के एक अणु और अक्सीजन के एक एटम में बदल जाती है. ऑक्सीजन का एटम बहुत जल्दी प्रतिक्रिया करके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है. इस वजह से सरफेस ओजोन की स्थिति में बूढ़ों और बच्चों को खुले में न जाने की सलाह दी जाती है.

मौसम विभाग का कहना है कि शांत हवा की स्थिति राजधानी दिल्ली में 5 नवंबर तक बनी रहेगी और इस वजह से यहां पर लोगों को खतरनाक वायु प्रदूषण का सामना 6 नवंबर तक करना पड़ेगा. मौजूदा पूर्वानुमान के मुताबिक 4 और 5 नवंबर को दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 कणों की मात्रा 380 माइक्रोग्राम के आसपास बनी रहेगी और पीएम 10 कणों की मात्रा हवा में 503 माइक्रोग्राम के स्तर पर बनी रहेगी. इस स्थिति में राजधानी में लोगों को अभी 72 घंटों तक जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

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