राजनीतिक दलों ने चुनाव कानून में संशोधन करते हुए धन के बदले समाचार प्रसारित करने के चलन (पेड न्यूज सिंड्रोम) को चुनावी कदाचार मानने पर जोर देते हुए कहा है कि वे सभी इस चलन से पीड़ित हैं.
राजनीतिक दलों ने जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करते हुए ऐसे समाचारों को चुनावी कदाचार घोषित करने का पक्ष लिया है.
इस विषय पर एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया और इंडियन वुमन्स प्रेस कार्प्स की ओर से पेड न्यूज सिंड्रोम पर यहां आयोजित एक समारोह में माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा ‘पेड न्यूज को चुनावी कदाचार घोषित किया जाना चाहिए.’ करात के सुझाव का समर्थन करते हुए भाजपा की वरिष्ठ नेता तथा विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि चूंकि इस विषय से निपटने के लिए चुनाव आयोग के पास पर्याप्त शक्ति नहीं है, इसलिए इस विषय पर कानून में संशोधन करने के लिए एक विधेयक संसद में पेश किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘आदर्श आचार संहिता के दायरे में चुनावी कदाचार नहीं आता है. ऐसा किया जाना चाहिए और मैं इसका समर्थन करती हूं.’ मध्यप्रदेश के विदिशा सीट पर चुनाव अभियान के समय को याद करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि उन्हें एक मीडिया संगठन की ओर अपने पक्ष में लिखने के लिए एक करोड़ रूपये के पैकेज की पेशकश की गई थी जिसमें विभिन्न स्थानों पर उनके दौरे और उससे जुड़े चित्र शामिल थे.
उन्होंने कहा कि इन वर्षों में इस चलन को संस्थागत रूप दिया जा चुका है और पार्टी उन प्रकाशनों का नाम उजागर करने को तैयार है.