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डेंगू का कहर जारी, चपेट में आये कई शहर

देश में पिछले तीन सालों से डेंगू का कहर लगातार बढता जा रहा है और इसकी चपेट में और नये शहर आ गये हैं. यह बीमारी सरकार के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही है. इस समय केरल बुरी तरह इसके चपेट में है.

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देश में पिछले तीन सालों से डेंगू का कहर लगातार बढता जा रहा है और इसकी चपेट में और नये शहर आ गये हैं. यह बीमारी सरकार के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही है. इस समय केरल बुरी तरह इसके चपेट में है.

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की डेंगू संबंधी एक रिपोर्ट के अनुसार देश में पिछले तीन सालों के दौरान डेंगू के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है वर्ष 2009 में डेंगू के 15 हजार 535 मामले सामने आये थे जबकि वर्ष 2008 में इनकी संख्या 12 हजार 561 और वर्ष 2007 में 5 हजार 534 थी.

चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा ये आंकडे उनको मिली सूचना के आधार पर एकत्र किये गये हैं लेकिन वास्तविक संख्या इनसे काफी अधिक हो सकती है.

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देश में डेंगू के बढते मामलों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने पिछले सप्ताह डेंगू की स्थिति की समीक्षा की और अधिकारियों को इस रोग के मच्छर का प्रजनन नियंत्रण करने संबधी कार्य का विस्तार करने और उनमें तेजी लाने को कहा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए मच्छरों के प्रजनन को रोकने और डेंगू के नियंत्रण कार्यो को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाये.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और फोर्टिस अस्पताल में मेटाबोलिक और मधुमेह विभाग में निदेशक डा अनूप मिश्रा ने बताया, ‘‘डेंगू के मामलों में वृद्धि का मुख्य कारण यह है कि जागरूकता की कमी से आज भी लोग इस रोग को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.’
डा मिश्रा ने बताया कि डेंगू एक ऐसा रोग है जिसे थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता से रोका जा सकता है . इसलिए आज सबसे बडी जरूरत लोगों को इसके घातक परिणामों के बारे में जागरूक करने की है. उन्होंने कहा कि अभी तक इस रोग के लिए कोई कारगर टीका नहीं निकला है. मंत्रालय की डेंगू संबंधी एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में डेंगू से सबसे अधिक प्रभावित केरल है जहां इस साल जुलाई तक 1918 मामले आ चुके हैं. उसके बाद कर्नाटक में 857 मामले प्रकाश में आये हैं जबकि तीसरे स्थान पर गुजरात है जहां 642 मामले सामने आये हैं.

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मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार डेंगू के शिकार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से कोई सहायता नहीं करती. वह आम लोगों को इस रोग के बचाव के उपायों और बचाव के बारे में बराबर जानकारी देती है. थोड़ी सी सावधानी से इस रोग से दूर रहा जा सकता है लेकिन आमतौर पर लोग इस बात को गंभीरता से नहीं लेते है और बाद में समस्या का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने बताया कि सरकार नैदानिक सेवाओं को सुगम बनाने के लिए जांच किटें प्रदान करके और रोगों के उपचार के लिए चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर राज्य स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ करती है. राज्यों को डेंगू सहित वेक्टरजनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए नकद एवं वस्तुगत सहायता भी प्रदान करती है.

अधिकारी ने बताया कि जोखिम वाले राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे डेंगू के बारे में किसी रोगी की सूचना मिलने पर इसकी रोकथाम के लिये तुरंत कदम उठायें.

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