दिल्ली की एक अदालत ने पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों को गोपनीय सूचना देने के आरोप में गिरफ्तार कनिष्ठ भारतीय राजनयिक माधुरी गुप्ता की जमानत याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया.
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कावेरी बावेजा ने माधुरी गुप्ता को कोई राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि उनके खिलाफ आरोप गंभीर हैं. विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अशोक तोमर द्वारा दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा में शिकायत दर्ज किए जाने के बाद माधुरी (53) को 22 अप्रैल को पाकिस्तान से दिल्ली पहुंचने पर गिरफ्तार किया गया था.
सरकारी गोपनीयता कानून के तहत आरोपों का सामना कर रही माधुरी ने अपनी जमानत याचिका में दलील दी थी कि जांच में उसकी मौजूदगी अनिवार्य नहीं है. उन्होंने यह भी दावा किया कि उसके फरार होने की कोई आशंका नहीं है क्योंकि वह दिल्ली की स्थायी निवासी है.
माधुरी गुप्ता के वकील जोगिन्दर दहिया ने 29 अप्रैल को संसद में विदेश राज्य मंत्री परणीत कौर द्वारा दिए गए बयान का जिक्र किया और कहा कि माधुरी की नियुक्ति सूचना प्रकोष्ठ में थी और किसी गोपनीय दस्तावेजों तक उसकी पहुंच नहीं थी. वकील ने यह भी दलील दी कि माधुरी काफी समय से उच्च रक्तचाप की मरीज है और उनका शर्करा स्तर भी अधिक है.
अतिरिक्त जन अभियोजक रीता शर्मा ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में कुछ अधिकारियों से पूछताछ की जानी है. उन्होंने दलील दी कि माधुरी से बरामद कंप्यूटर को फारेंसिक जांच के लिए भेजा गया है और रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है. विदेश मंत्रालय कार्यरत माधुरी करीब तीन साल से वहां कार्यरत थी.