उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न सहित महिलाओं के प्रति सभी तरह के अपराधों पर अंकुश लगाने के लिये मौजूदा व्यवस्था में पूरा बदलाव करने पर जोर देते हुये शुक्रवार को कहा कि स्थिति से निबटने के लिए सिर्फ कठोर दंड ही कारगर होगा.
न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की खंडपीठ ने बहू को जलाने, क्रूरता और आत्महत्या जैसे अपराधों की रोकथाम के लिये कठोर कानून होने के बावजूद महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाओं में वृद्धि हो रही है. न्यायाधीशों ने कहा, ‘देश में महिलाओं की बिगड़ती स्थिति पर अंकुश के लिए कठोर कानून के बावजूद विवाहित महिलाओं के जलने, क्रूरता, आत्महत्या, यौन उत्पीड़न और बलात्कार जैसी अपराध बढ़ रहे हैं और रोज ही ऐसी घटनायें हो रही हैं.’
न्यायाधीशों ने कहा, ‘ऐसे अपराधों के लिये हतोत्साहित करने वाले दंड के रूप में व्यवस्था में आमूल चूल बदलाव की आवश्यकता है ताकि हम इस समस्या से प्रभावी तरीके से निबट सकें.’ न्यायालय ने विवाहिता को जलाकर मारने के जुर्म में दो महिलाओं और उनकी मां को दोषी ठहराने और उनकी उम्र कैद की सजा को बरकरार रखते हुये ये टिप्पणियां की.
न्यायालय ने कहा कि गर्भधारण करने में असमर्थ रहने के कारण मृतक का उसके ससुराल की महिलाओं ने बुरी तरह उत्पीड़न किया और विवाह के तीन साल के भीतर ही 28 फरवरी, 2000 को उसे जलाकर मार डाला. नवविवाहिता पर मिट्टी का तेल छिड़कने के बाद अपीलकर्ता आशाबाई पूना तायाडे, कविता अजय मेधे और उनकी मां केशरबाई ने आग लगा दी. केसर बाई का निधन हो चुका है.
न्यायालय ने कहा, ‘अलग से अपील दायर करने वाली सास की 10 फरवरी, 2012 को मृत्यु हो गयी है लेकिन अभियोजन पक्ष के सबूतों के मद्देनजर अपीलकर्ताओं के साथ किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जा सकती है जिनके कहने पर ही सास ने मृतक को जलाया था. न्यायालय ने मृतक के मृत्यु पूर्व दिये गये बयानों में विरोधाभास होने की बचाव पक्ष की दलील को भी अस्वीकार कर दिया.
न्यायालय ने कहा कि हम इस बात से संतुष्ट हैं कि मुख्य पहलू में किसी प्रकार में किसी प्रकार का विरोधाभास नहीं है. इस मामले में निचली अदालत ने 30 मार्च 2005 को तीनों महिलाओं को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और धारा 498-ए (विवाहिता के प्रति क्रूरता) के अपराध में दोषी ठहराते हुये उन्हें उम्र कैद की सजा सुनायी थी. बंबई उच्च न्यायालय ने 11 अप्रैल 2007 को इनकी सजा बरकरार रखते हुये उनकी अपील खारिज कर दी थी.