भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के मामले में अब अमेरिका में अंदर से ही आवाजें उठ रही हैं. अमेरिकी विदेश सेवा के एक पूर्व अधिकारी और 1990 के दशक में नई दिल्ली में तैनात रह चुके एम गॉर्डन जोन्स का कहना है कि न्यूयॉर्क में भारतीय राजनयिक के साथ जो हुआ वह बेहद शर्मनाक था.
भारतीय-अमेरिकियों के एक समूह ने वाशिंगटन में एक ऑनलाइन व्हाइट हाउस याचिका शुरू की है, जिसमें ओबामा प्रशासन से भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े से वीजा फर्जीवाड़े के आरोपों को वापस लेने की मांग की गई है. समूह ने कहा कि भारत की वरिष्ठ राजनयिक के साथ सार्वजनिक रूप से किए गए अमानवीय व्यवहार के कारण समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं. न्यूयॉर्क में 12 दिसंबर को हुई भारतीय उप वाणिज्य महादूत की गिरफ्तारी के तरीके पर विरोध जताते हुए ऑनलाइन याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी के तरीके का कारण स्पष्ट नजर आता है.
याचिका में कहा गया, राजनयिक छूट के बावजूद डॉ. खोबरागड़े को उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह अपनी बेटी के स्कूल से बाहर निकलीं, उन्हें हथकड़ी लगाई गई, कपड़े उतरवाकर तलाशी ली गई और हवालात में बंद किया गया. इसमें कहा गया कि देवयानी अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए भारत सरकार के प्रतिनिधियों में से एक हैं. सार्वजनिक रूप से उनके अपमान से भारतीय-अमेरिकी समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं. इस तरह की घटनाएं भारत-अमेरिका संबंधों को चोट पहुंचाती है. हम आग्रह करते हैं कि डॉ. खोबरागड़े को पहुंचे मानसिक ठेस और सार्वजनिक अपमान के मद्देनजर उनके खिलाफ लगे आपराधिक आरोपों को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए.
कई विशेषज्ञों ने वीजा फर्जीवाड़े के आरोपों में 39 वर्षीय राजनयिक को गिरफ्तार करने के अमेरिका सरकार के फैसले पर सवाल उठाए. अमेरिकन यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ में प्रोफेसर स्टीफन व्लाडेक ने एनबीसी न्यूज के साथ इंटरव्यू में कहा, इस बारे में कोई सवाल नहीं है कि सरकार ने कानूनी तौर पर कार्रवाई की, लेकिन अपने अधिकार के तहत काम करने और विदेश संबंधों के मामले में काम करने में अंतर होता है.