अमेरिका पर दबाव बढ़ाते हुए भारत ने गुरुवार को मांग की कि वरिष्ठ राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के खिलाफ बिना शर्त मामला वापस लिया जाये. इस बीच, यह भी संकेत हैं कि दोनों पक्ष पर्दे के पीछे मिलकर काम कर रहे हैं ताकि संबंधों में आयी खटास को दूर किया जा सके.
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी द्वारा गिरफ्तारी पर खेद जताये जाने के एक दिन बाद उनके समकक्ष सलमान खुर्शीद ने सार्वजनिक तौर पर यह मांग की कि 39 वर्षीय देवयानी के खिलाफ मामला वापस लिया जाये. इस भारतीय महिला राजनयिक को वीजा धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार कर और उनके वस्त्र उतारकर तलाशी ली गयी थी.
खुर्शीद ने कहा, ‘इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए... काफी प्रयासों के बाद हमारे संबंध बने हैं... और हमें इससे संवेदनशील तरीके से निबटना होगा.’ मामले में पिछले एक दिन में राजनीतिक गतिविधियां काफी तेज हो गयी. कैरी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से फोन पर बातचीत की जबकि बुधवार रात अमेरिका की राजनीतिक मामलों की विदेश उप मंत्री वेंडी शर्मन ने विदेश सचिव सुजाता सिंह से करीब 40 मिनट तक बातचीत की.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी घटना की जानकारी दी गयी. इसके बाद व्हाइट हाउस ने गिरफ्तारी को ‘कभी कभार होने वाली घटना’ करार दिया और उम्मीद जतायी कि इससे द्विपक्षीय संबंधों पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस मामले के समाधान के लिए भारत ने जो संभावित तरीका निकाला है उसमें देवयानी का तबादला न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के भारतीय स्थायी मिशन में किया गया है. देवयानी को अभी तक महावाणिज्य दूतावास में पूरी राजनयिक छूट प्राप्त नहीं थी लेकिन स्थायी मिशन में जाने से उन्हें पूरी तरह छूट मिलेगी और उन पर वहां अभियोजन भी नहीं चल सकेगा.
बहरहाल, वीजा धोखाधड़ी मामले का क्या भविष्य होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है. इस मामले में देवयानी ने ढाई लाख डॉलर का मुचलका दिया है और उन्हें अपना पासपोर्ट सौंपना पड़ा है. यह भी अभी स्पष्ट नहीं हुआ है कि क्या अमेरिकी प्रशासन एक अदालत में विचाराधीन इस मामले को वापस लेगा.
भारत में जन्मे अमेरिकी सरकारी वकील प्रीत भरारा ने अप्रत्याशित रूप से दिये गये एक बयान में झुकने का कोई संकेत नहीं दिया है और देवयानी की गिरफ्तारी को उचित ठहराया है. भरारा ही इस मामले को देख रहे हैं. उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि देवयानी की लापता चल रही नौकरानी के परिवार को कुछ दिनों पहले भारत से ‘निकाल कर’ अमेरिका लाया गया है. नौकरानी के साथ कथित दुर्व्यवहार के कारण ही भारतीय राजनयिक की गिरफ्तारी हुई थी.
भारत ने भरारा पर पलटवार करते हुए कहा कि वह भारतीय न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप कर रहे हैं. भारत ने यह भी दावा किया है कि गिरफ्तारी के समय राजनयिक छूट के बारे में वियना समझौते को ध्यान में नहीं रखा गया.
विदेश मामलों के प्रवक्ता ने कहा कि यह एक ऐसी कार्रवाई थी जो नहीं होनी चाहिए. इसके बाद उसे जायज ठहराने के वास्ते बयान देने पर अमेरिकी अटॉर्नी की उन्होंने निंदा की. प्रवक्ता ने कहा कि देवयानी के प्रति कोई विनम्रता नहीं दिखायी गई, जो इस मामले में एकमात्र ‘पीड़ित’ हैं.
उन्होंने कहा कि भारत में कानूनी प्रक्रिया स्वीकार करने के बावजूद बयान में केवल इस बारे में उल्लेख किया गया कि फरार नौकरानी संगीता रिचर्ड के परिवार को निकालना क्यों जरूरी हो गया था, ऐसा करके भारतीय कानूनी प्रणाली, उसके प्रवर्तन अधिकारियों और इस जिम्मेदारियों के बारे ‘परोक्ष टिप्पणी’ की गई है कि एक विदेशी सरकार के कानूनी अधिकारी अन्य देश के नागरिकों के बारे में झूठा दावा कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमें इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए कि इस मामले में एकमात्र पीड़ित देवयानी हैं जो कि अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास में भारतीय राजनयिक हैं.