अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारतीय विमान कंपनियां अब ईरानी हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल से बचने के लिए अपनी उड़ानों का रास्ता बदलेंगी. डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने शनिवार को यह जानकारी दी. डीजीसीए ने एक ट्वीट में कहा, नागर विमान निदेशालय की सलाह से सभी भारतीय विमान कंपनियों ने यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए ईरान के हवाई क्षेत्र के प्रभावित हिस्सों से बचने का फैसला किया है. माना जा रहा कि इसका सीधा असर किराए पर पड़ेगा.
डीजीसीए की यह एडवाइजरी अमेरिका के सिविल रेग्युलेटरी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) के एक नोटिस के बाद आई है. एफएए ने अपने 'नोटिस टू एयरमेन' में अमेरिका में रजिस्टर्ड फ्लाइट्स को तेहरान उड़ान सूचना क्षेत्र से अगली सूचना तक नहीं उड़ाने को कहा है. यह फैसला सैन्य गतिविधियां तेज होने और राजनीतिक तनाव बढ़ने के मद्देनजर लिया गया है. ईरान द्वारा अमेरिकी ड्रोन को मार गिराए जाने के बाद संयुक्त अरब अमीरात की जनरल सिविल एविएशन अथॉरिटी (जीसीएए) ने रजिस्टर्ड ऑपरेटरों को अपनी उड़ानों का रास्ता बदलने को कहा है.
अमेरिका और ईरान के तनाव का असर भारत की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर दिखने भी लगा है. शुक्रवार शाम से अमेरिकी कंपनी यूनाइटेड एयरलाइंस ने न्यूयॉर्क/नेवाक और मुंबई के बीच अपनी फ्लाइट रद्द कर दी. एयरलाइन कंपनी ने कहा कि सुरक्षा की पूरी समीक्षा करने के बाद ईरान के एयरस्पेस से होकर भारत जाने वाली फ्लाइट को रद्द करने का फैसला लिया गया है.
क्यों बढ़ा अमेरिका और ईरान का विवाद
गुरुवार को ईरान ने अमेरिका का एक ड्रोन मार गिराया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में कड़वाहट चरम पर पहुंच गई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर लिखा था कि ईरान ने बहुत बड़ी गलती कर दी. बात इतनी बढ़ गई थी कि अमेरिका ने ईरान के तीन ठिकानों पर हमले की तैयारी कर ली थी.
लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने ऐन वक्त पर इसके लिए मना कर दिया. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अंतिम वक्त में सैन्य कार्रवाई इसलिए नहीं की क्योंकि इसमें 150 लोग मारे जाते. ड्रोन गिराए जाने के बाद युद्ध की आशंकाएं काफी बढ़ गई थीं. इसके बाद ईरान से तेल के निर्यात में रुकावट की आशंका के कारण शुक्रवार को कच्चे तेल की कीमतें 1 प्रतिशत बढ़कर 65 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं.