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विमानों से मानव मल गिराना नामुमकिन, DGCA ने NGT को जवाब में कहा

एनजीटी ने डीजीसीए को फटकारते हुए कहा था कि किसी के घर पर विमानों का मलबा गिरा मिला तो 50 हजार रुपए जुर्माना वसूला जाएगा. डीजीसीए ने एनजीटी को जवाब में कहा है कि मानव मल गिराना असंभव है और विमानों में ऐसा कोई सिस्टम भी नहीं होता.

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विमान की फाइल फोटो
विमान की फाइल फोटो

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विमानों में लगे शौचालयों का मल क्या बीच हवा में डंप कर दिया जाता है? यह सवाल आम लोगों से लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) तक को परेशान करता रहा है. तभी एनजीटी ने इस बाबत डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) से जवाब तलाब किया. एनजीटी ने यहां तक कहा कि अगर बीच हवा में मानव मल डंप किए जाते हैं, तो जुर्माने के तौर पर 50 हजार रुपए वसूले जाएंगे.

एनजीटी के सवाल का जवाब डीजीसीए ने दे दिया है. डीजीसीए ने कहा है कि एनजीटी का आदेश मजाक का मुद्दा बन गया है क्योंकि बीच हवा में विमान के टॉयलेट से मल गिराना नामुमकिन है.

विमानों से मल गिरने की कई खबरें देश-दुनिया में पढ़ी-सुनी जाती रही हैं. एनजीटी में यह मामला साल 2016 में पहुंचा जब दिल्ली के एक निवासी ले.ज. (रिटायर्ड) सतवंत सिंह दहिया ने आरोप लगाया कि उनके दक्षिण दिल्ली स्थित घर की छत पर मल और मलबा गिरा मिलता है. मामला फिलहाल विचाराधीन है लेकिन लोगों की जिज्ञासा यह बात जानने की जरूर रहती है कि क्या वाकई विमानों से मल बीच हवा में गिराया जाता है?

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इस सवाल के जवाब में डीजीसीए के पूर्व निदेशक एचएस खोसला ने इंडिया टुडे से कहा, किसी भी आधुनिक विमान में बीच हवा में मानव मल डंप करने का कोई सिस्टम नहीं है.

तो फिर ऐसे मल का क्या होता है? इस बारे में मार्टिन कंसल्टिंग के सीईओ मार्क डी मार्टिन का कहना है कि 'आधुनिक विमानों में कचरे को एडिटिव के साथ मिलाकर एक अलग टैंक में डाल दिया जाता है. यह टैंक फ्यूल, हाइड्रोलॉजिक और एसी टैंक से अलग होता है. बीच हवा में इस टैंक को खोलना नामुमकिन है. जहाज के उतरने के बाद एयरपोर्ट पर टॉयलेट ट्रक में इसे खाली कर दिया जाता है.'

पुराने विमानों के पुराने सिस्टम

30 साल पहले के विमानों में यह टेक्नोलॉजी नहीं होती थी. तब अलग प्रकार का इलेक्ट्रिक सिस्टम उपयोग में लाया जाता था. विमानों के शौचालयों को केमिकल से फ्लश कर दिया जाता था. इस केमिकल को स्काईकेम कहा जाता है. फ्लश के दौरान शौचालय के वॉल्व लीक हो जाते थे, जिससे कभी-कभी बीच हवा में मल गिरने की शिकायत मिलती थी. अब नए विमानों में यह सिस्टम पूरी तरह बदल गया है.

मल सफाई का वैक्युम सिस्टम

विमानों में मल सफाई के लिए वैक्युम सिस्टम भी चलता है. यह सबसे पहले 1982 में बोइंग में शुरू किया गया था. इसमें टॉयलेट में पानी का उपयोग काफी कम होता है. वैक्युम सिस्टम से मल को एक टैंक में धकेल दिया जाता है. बाद में एयरपोर्ट पर अलग टैंक में इसे खाली कर दिया जाता है. बीच हवा में पायलट चाहकर भी इस टैंक को खाली नहीं कर सकता.

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क्या है मामला

एनजीटी ने विमान से मानव मल गिराने के मामले में डीजीसीए को फटकार लगाई थी. एनजीटी ने कहा कि डीजीसीए ने यह सुनिश्चित करने के सर्कुलर की बार-बार अवज्ञा की है कि इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर संचालित एयरलाइन के विमान उड़ान के दौरान शौचालय टैंक खाली ना करें.

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने चेतावनी दी कि अगर इस आदेश का 31 अगस्त तक अनुपालन नहीं किया गया तो नागर विमानन महानिदेशक की सैलरी रोक दी जाएगी. ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस बात पर सख्त नाराजगी जताई कि उसके स्पष्ट आदेश के बावजूद इस मुद्दे पर विमानन नियामक की ओर से न तो कोई स्पष्टीकरण दिया गया और न ही उसका अनुपालन किया गया. जस्टिस गोयल और जस्टिस जावद रहीम की पीठ ने कहा कि डीजीसीए की ओर से न कोई वैध स्पष्टीकरण दिया गया और न ही आदेश का अनुपाल किया गया. ऐसे में हमारे पास डीजीसीए को 31 अगस्त तक इन निर्देशों का पालन करने का निर्देश देने के सिवा कोई विकल्प नहीं है.

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