भारत ने आज स्वदेश में निर्मित अपने बैलिस्टिक प्रक्षेपायों ‘धनुष’ तथा ‘पृथ्वी. दो’ का उड़ीसा तट से कुछ दूर से दो अलग अलग स्थानों से सफल प्रायोगिक परीक्षण किया.
चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के निदेशक एस पर दाश ने बताया ‘‘परीक्षण सफल रहे. दोनों प्रक्षेपास्त्रों को आज तड़के प्रक्षेपित किया गया और दोनों ने ही निर्धारित मानकों को पूरा किया.’’ स्वदेश में निर्मित सतह से सतह पर मार करने वाले पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र को यहां से करीब 15 किमी दूर एटीआर के परिसर तीन से एक सचल प्रक्षेपक द्वारा सुबह करीब पांच बज कर 48 मिनट पर दागा गया.
धनुष को पुरी के निकट बंगाल की खाड़ी में आईएनएस सुभद्रा पोत से करीब पांच बज कर 44 मिनट पर दागा गया. भारतीय नौसेना के कर्मियों ने अपने एक प्रशिक्षण अभ्यास के एक हिस्से के तौर पर दोनों प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपित किए.
धनुष की मारक क्षमता 350 किमी है. परमाणु क्षमता संपन्न ‘धनुष’ पृथ्वी मिसाइल का ही नौसेनिक संस्करण है.
सूत्रों ने बताया कि धनुष ने लक्ष्य का सटीक तौर पर पीछा किया और इस दौरान इसके पथ की निगरानी की गई. इसके लिए लक्ष्य के समीप नौसेना के दो पोत तैनात किए गए थे. उन्होंने बताया कि 350 किमी की मारक क्षमता वाला पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र भारतीय नौसेना को दुश्मन के ठिकाने को पूरी स्पष्टता के साथ भेदने की क्षमता मुहैया कराएगा.{mospagebreak}सूत्रों के अनुसार, आज प्रक्षेपक वाहन के पूरे पथ पर अत्याधुनिक रडार प्रणाली से निगरानी रखी गई. एक चरण वाला यह प्रक्षेपास्त्र तरल प्रणोदकों से संचालित होता है. यह दस मीटर लंबा है तथा इसका वजन करीब छह टन है. इसका व्यास एक मीटर है और यह 500 किग्रा आयुध ले जाने में सक्षम है.
चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से 295 किमी की अधिकतम मारक क्षमता वाले बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी को एटीआर के परिसर तीन से एक सचल प्रक्षेपक द्वारा सुबह करीब पांच बज कर 48 मिनट पर दागा गया.
स्वदेश में निर्मित सतह से सतह पर मार करने वाले पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र का यह प्रायोगिक परीक्षण सेना ने उपयोगी परीक्षण के तौर पर किया था. सतह से सतह पर मार करने वाला यह प्रक्षेपास्त्र सैन्य बलों में शामिल किया जा चुका है.{mospagebreak}सूत्रों ने बताया कि सामरिक बल कमान (स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड) ने इस प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण किया.
पृथ्वी देश के प्रतिष्ठित एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित पहला बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है. यह 500 किग्रा आयुध ले जाने में सक्षम है तथा तरल प्रणोदक दोहरे इंजन से यह संचालित होता है. पृथ्वी में अत्याधुनिक इनर्शियल गाइडेन्स सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है. यह आसानी से लक्ष्य को भेद सकता है. इसकी लंबाई नौ मीटर और व्यास एक मीटर है.
सूत्रों ने बताया कि आज के परीक्षण के दौरान अत्याधुनिक रडारों की मदद से इसकी दिशा की गहन निगरानी की गई. प्रक्षेपण के बाद के घटनाक्रम का विश्लेषण करने के लिए विभिन्न स्थानों पर इलेक्ट्रो. ऑप्टिक टेलीमेट्री स्टेशन्स लगाए गए थे.
यह प्रक्षेपास्त्र बंगाल की खाड़ी में गिरा जहां इसके प्रभावों का अध्ययन करने के लिए नौसेना का एक पोत तैयार था. इसके अलावा लंबी दूरी का एक ट्रैकिंग रडार (एलआरटीआर) और बहु आयामी ट्रैकिंग रडार (एमएफटीआर) भी तैनात किए गए थे ताकि इसके पथ की निगरानी की जा सके.