प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 'ढोला सदीया सेतु' पुल का उद्घाटन किया. ये पुल चीन की सीमा के नजदीक भारत में किसी नदी पर बना सबसे लंबे पुल है. यह 60 टन वजनी युद्धक टैंक का वजन भी उठा सकता है. ब्रह्मपुत्र नदी पर बने 9.15 किलोमीटर लंबे पुल का उद्घाटन के साथ ही प्रधानमंत्री असम के पूर्वी हिस्से से एनडीए सरकार के तीन साल पूरे होने पर जनसभा भी की.
रक्षा जरूरतों की होगी पूर्ति
पुल को भारत-चीन की सीमा पर पूर्वोत्तर में देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने की कोशिश है. इसके अलावा पुल के चालू होने के बाद अरूणाचल प्रदेश और असम के बीच की दूरी 165 किलोमीटर और 5 घंटे कम हो जाएगी. साथ ही लोगों के लिए हवाई और रेल परिवहन के अलावा सड़क रास्ते से आना-जाना आसान हो जाएगा. यह अब तक देश के सबसे लंबे पुल कहे जाने वाले बांद्रा-वर्ली सी लिंक से 3.55 किलोमीटर लंबा है.
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें इस पुल के महत्व के बारे में बताया गया है.
माननीय प्रधानमंत्री @narendramodi २६ मई,२०१७ को ढोला, असम मे भारत के सबसे लंबे पुल - ढोला-सादिया पुल, लम्बाई ९. १५ किमी, का उद्घाटन करेंगे pic.twitter.com/pFDjpgHZWs
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) May 24, 2017
2011 में शुरू हुआ था निर्माण
पुल का निर्माण साल 2011 में शुरू हुआ था और परियोजना की लागत 950 करोड़ रूपये थी. इस का डिजाइन इस तरह बनाया गया है कि पुल सैन्य टैंकों का भार सहन कर सके. पुल असम की राजधानी दिसपुर से 540 किलोमीटर दूर और अरूणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर से 300 किलोमीटर दूर है. चीनी सीमा से हवाई दूरी 100 किलोमीटर से कम है.
ढोला सदीया पुल का उद्घाटन 2015 में होना था लेकिन बाद में सरकार 26 मई को इसके उद्घाटन का फैसला लिया. इस पुल से पूर्वोत्तर से सड़क परिवहन को मजबूत मिलेगी. सेना के अलावा असम और अरुणाचल के लोगों के लिए भी यह पुल बेहद उपयोगी साबित होगा.