एक साल कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला. ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात है जब देहरादून में अचानक मची हड़बड़ी माही के शादी समारोह में तब्दील हो गई. कहने को तो एमएस धोनी जब से टीम इंडिया के साथ जुड़े हैं, कामयाबी उनके कदम चूम रही है लेकिन 4 जुलाई 2010 से 4 जुलाई 2011 के बीच बहुत कुछ ऐसा हुआ है जो ना तो वो कभी भूलना चाहेंगे, ना साक्षी और ना ही पूरा देश.
प्यार का एक साल, 'हमसफ़र' का एक साल, दुआओं का एक साल, कामयाबी का एक साल. जी हां. ठीक एक साल पहले, पूरी दुनिया को छकाते हुए, सबको चौंकाते हुए टीम इंडिया का कप्तान अपने लिए दुल्हनिया लेकर आया था.
पहले तो इनकी एक झलक के लिए सब तरसे, और जैसे ही ये सबके सामने आए, इस जोड़े की खूबसूरती आंखों में नहीं समा रही थी. आज पूरा एक साल हो चुका है माही और साक्षी की शादी को. शादी से पहले चाहे जितना भी ये कैमरों से कतराए हों, शादी के बाद जी भरकर इस जोड़ी के दीदार हुए. जहां-जहां धोनी-वहां-वहां साक्षी.
कभी एक ग्लैमरस फ़र्स्ट लेडी की तरह. कभी सफलता की प्रार्थना करती पतिव्रता की तरह. ये कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय क्रिकेट में ऐसी जोड़ी कभी भी नज़र नहीं आई.
साझेदारियों के इस खेल में मैदान से परे ये एक ऐसी साझेदारी है जिसने एक साल में भारतीय क्रिकेट की तस्वीर बदल दी.
साक्षी, धोनी की ज़िंदगी में लेडी लक बनकर आईं. यूं तो माही पहले ही किस्मत के बहुत धनी थे. पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दबाव में जो सुकून इस साथी ने धोनी को दिया, वो मैदान पर नतीजों की शक्ल में बार-बार नज़र आया. ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट और वन-डे दोनों में धूल चटाना, चैंपियन्स लीग में दुनिया भर की टीमों को पटखनी देना, आईपीएल में लगातार दूसरी बार चैंपियन बनना. पर सबसे बड़ी कामयाबी -दुनिया जीतना.
आज माही विश्व विजेता कप्तान हैं और साक्षी उनकी प्रेरणा, उनकी किस्मत, उनकी शक्ति.
हर क्रिकेटर का सपना होता है वर्ल्ड चैंपियन बनने का. इस सपने को पूरा होते देखने के लिए ना जाने कितनी आंखें सालों से बेचैनी के साथ इंतजार कर रही थीं.
आखिरकार, सपना पूरा हुआ और वो भी एक लेडी लक की वजह से. जिस वर्ल्ड कप का इंतजार 28 सालों से पूरा देश कर रहा था वो आखिरकार पूरा हुआ 2 अप्रैल 2011 को. वर्ल्ड कप की जीत का सेहरा बंधा महेंद्र सिंह धोनी के सर पर और उनके पीछे खड़ी थी लेडी लक यानी उनकी धर्मपत्नी साक्षी.
साक्षी जो साए की तरह पिछले 9 महीने से धोनी के हर कदम पर ताल से ताल मिलाकर साथ दे रही थीं. अब इसे लेडी लक ना कहें तो क्या कहें कि पहली बार वर्ल्ड कप में कप्तानी कर रहे धोनी ने टीम इंडिया को वनडे का सरताज बना दिया.
ये वो साल था जब धोनी की कप्तानी कटघरे में थी. यहां तक कि वर्ल्ड कप के लीग मैचों में भी टीम के प्रदर्शन को देखकर टीम इंडिया की दावेदारी पर सवाल उठने लगे थे. क्रिकेट पंडितों ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया था कि वर्ल्ड कप के नतीजे को देखकर धोनी की किस्मत का फैसला होगा. पर तमाम आलोचनाओं से परे धोनी का दिमाग शांत और स्थिर इसलिए था क्योंकि उनके जीवन में साक्षी थी जो धोनी की हर मुश्किल में उनके साथ खड़ी थीं.
साक्षी की मौजूदगी ने धोनी में एक नया जोश भर दिया. ऐन मौके पर धोनी ने अपनी कप्तानी का ऐसा जलवा दिखाया कि सब देखते ही रह गए और टीम इंडिया बन गई वर्ल्ड चैंपियन.
विश्व कप में पहली बार कप्तानी कर रहे धोनी का विश्वविजेता बनना, और शादी का पहला साल - एक संयोग तो हो सकता है पर इस बात से भला कौन इनकार कर सकता है कि हर कामयाब आदमी के पीछे एक महिला का हाथ होता है. तो धोनी की इस कामयाबी के पीछे क्यों नहीं लेडी लक साक्षी ही हों.